कांग्रेस को गिव एंड टेक की पॉलिसी पर अमल करना होगा तभी एक मंच पर होंगे क्षेत्रीय दल
कर्नाटक में भाजपा को औंधे मुंह गिराने वाले कांग्रेस-जदएस गठबंधन की जीत से पूरे विपक्ष की बांछे खिल गई हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कर्नाटक में भाजपा को औंधे मुंह गिराने वाले कांग्रेस-जदएस गठबंधन की जीत से पूरे विपक्ष की बांछे खिल गई हैं। 2019 को लेकर सभी आशान्वित हैं कि भाजपा को अब घेरा जा सकता है। क्षेत्रीय राजनीतिक दल विपक्ष की एकता के लिए तो जोर दे रहे हैं, लेकिन उनकी कांग्रेस को सलाह है कि वह लचीला रवैया अपनाकर आगे बढ़े तो अच्छा।
-कर्नाटक में कांग्रेस-जदएस गठबंधन की जीत से पूरे विपक्ष की बांछे खिलीं
राकांपा के नेता शरद पंवार ने मुख्यमंत्री पद जदएस के हवाले करने को कांग्रेस का बड़प्पन बताया है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जीत के लिए बधाई भी दी, लेकिन दूसरी तरफ प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कर्नाटक जीत पर हर्ष जताकर जो संदेश भेजा, उसमें एचडी देवेगौड़ा व कुमार स्वामी का नाम था, लेकिन किसी गांधी का जिक्र नहीं। माकपा के डी राजा ने कहा कि विपक्ष की अगुआई कौन करेगा इस विकल्प को अभी खुला रखा जाना चाहिए।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने कर्नाटक चुनाव के दौरान कहा था कि वह 2019 में प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं। उनका यह बयान बहुत से क्षेत्रीय दलों को रास नहीं आया है। जाहिर है कि कांग्रेस को गिव एंड टेक की पॉलिसी पर ज्यादा अमल करना होगा, जिसकी हालांकि वह आदी नहीं।
राकांपा नेता तारिक अनवर का कहना है कि कांग्रेस को 2019 में भाजपा को हराना है तो क्षेत्रीय दलों को ज्यादा तरजीह देनी होगी। तभी एक बेहतर राष्ट्रीय स्तर के गठबंधन की रचना हो सकेगी। हालांकि उनका यह भी कहना है कि कांग्रेस को बड़ा पद अपने पास रखना होगा। विगत में क्षेत्रीय दलों को पद देने के नतीजे अच्छे नहीं रहे हैं।
डी राजा का कहना है कि स्थितियां तेजी से बदल रही हैं। 2019 में भाजपा किस तरह से चुनाव लड़ेगी, यह बहुत कुछ इस बात पर तय करेगा कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से कैसा बर्ताव करती है और कितनी जगह देती है?