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सरकारी कंपनियों के विनिवेश के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में जुटी कांग्रेस, जानें क्‍या है रणनीति

सरकारी कंपनियों के विनिवेश को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर पहले से ही हमला बोल रही कांग्रेस ने विपक्षी दलों को साधने की कसरत शुरू कर दी है। कांग्रेस ने विपक्षी नेताओं के साथ संयुक्त रणनीति पर बातचीत शुरू कर दी है। जानें क्‍या है रणनीति...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 08:15 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 12:59 AM (IST)
सरकारी कंपनियों के विनिवेश के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में जुटी कांग्रेस, जानें क्‍या है रणनीति
सरकारी कंपनियों के विनिवेश के खिलाफ कांग्रेस ने विपक्षी दलों को साधने की कसरत शुरू कर दी है।

संजय मिश्र, नई दिल्ली। सरकारी कंपनियों के विनिवेश को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर पहले से ही हमला बोल रही कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ताजा बयान के मद्देनजर संसद में इस मुददे को जोर-शोर से उठाने के लिए विपक्षी दलों को साधने की कसरत शुरू कर दी है। इसके तहत कांग्रेस ने एलआइसी सहित लाभकारी सरकारी कंपनियों का हिस्सा निजी क्षेत्र को बेचे जाने का विरोध करने के लिए वामदलों और द्रमुक के अलावा तृणमूल कांग्रेस के नेताओं से संयुक्त रणनीति बनाने पर बातचीत शुरू कर दी है।

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विपक्षी दलों के साथ आने की उम्‍मीद में कांग्रेस 

कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ जारी अभियान के बीच विपक्षी खेमा लाभकारी सरकारी कंपनियों के विनिवेश के मुद्दे पर भी अपेक्षित समर्थन की उम्मीद कर रहा है। वित्त मंत्री के बजट के एलान में एलआइसी के अलावा दो सरकारी बैंकों का विनिवेश करने की घोषणा पर विपक्ष के उठाए सवालों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया था कि व्यापार करना सरकार का काम नहीं है।

कांग्रेस लगातार उठा रही विनिवेश का मसला 

कांग्रेस के वरिष्ठ सूत्रों ने पीएम के इस बयान का हवाला देते हुए कहा कि इससे स्पष्ट है कि मोदी सरकार एलआइसी जैसी बड़ी और लाभकारी कंपनियों का चरणबद्ध तरीके से निजीकरण करने पर आमादा है। उनके मुताबिक, पार्टी आर्थिक सुधारों की दिशा में आगे बढ़ने वाले कदमों के खिलाफ नहीं है, लेकिन कांग्रेस का स्पष्ट मानना है कि एलआइसी, इंडियन ऑयल, ओएनजीसी हो या सरकारी बैंक, इनकी मजबूत उपस्थिति बनाए रखना जरूरी है। 

विनिवेश पर आगे बढ़ेगी सरकार 

हालांकि पीएम के बयान के बाद स्पष्ट है कि सरकार इसके उलट इन कंपनियों के विनिवेश पर तेजी से आगे बढ़ेगी खासतौर पर यह देखते हुए कि उसके पास अपने खर्चे चलाने की चुनौती है। इसीलिए, कांग्रेस ने आठ मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान संसद में सरकारी कंपनियों के विनिवेश को बड़ा मुद्दा बनाते हुए सरकार पर बहस कराने का दबाव बनाने का फैसला किया है।

दलों को साधने में जुटे दिग्‍गज

पार्टी सूत्रों ने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के नए नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश सरीखे नेता दूसरे विपक्षी दलों से इस पर बातचीत कर रहे हैं। माकपा नेता सीताराम येचुरी और भाकपा के डी. राजा के अलावा द्रमुक नेता टीआर बालू से पहले दौर की चर्चा हो चुकी है। इन नेताओं ने कांग्रेस के रुख से सहमति जताई है। 

टीएमसी ने भी दिया भरोसा 

बंगाल चुनाव में अपना सब कुछ दांव पर लगा रही तृणमूल कांग्रेस ने भी एलआइसी के विनिवेश का जोर-शोर से विरोध करने के प्रयासों में शामिल होने का कांग्रेस को भरोसा दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी एलआइसी सहित सरकारी कंपनियों को बेचे जाने के फैसले पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार को क्रोनी जीवी तक बता चुके हैं।


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