Justice Muralidhar Transfer: तबादले पर मचा सियासी संग्राम, कानून मंत्री ने खारिज किए सभी आरोप
कांग्रेस ने इसे सरकार की न्यायपालिका पर दबाव डालने और भाजपा की बदले की कार्रवाई करार दिया। तो केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि तबादले की अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट से ही आइ थी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली।दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस मुरलीधर का पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में तबादले किए जाने पर जबरदस्त सियासी घमासान छिड़ गया है। कांग्रेस ने इसे सरकार की न्यायपालिका पर दबाव डालने और भाजपा की बदले की कार्रवाई करार दिया। तो केंद्र सरकार ने कांग्रेस के काल में न्यायपालिका के साथ व्यवहार की याद दिलाते हुए स्पष्ट किया कि तबादले की अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट से ही आइ थी। प्रक्रिया के अनुसार जस्टिस मुरलीधर से भी सहमति ली गई थी। लेकिन परिवारवाद से ग्रसित कांग्रेस जज के रूटीन ट्रांसफर का राजनीतिकरण कर रही है।
दिल्ली में दंगे भड़काने के लिए भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर के खिलाफ भड़काऊ भाषणों पर एफआइआर दर्ज नहीं करने को लेकर जस्टिस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को जमकर लताड़ लगाई थी। साथ ही गुरूवार तक इनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करने पर विचार करने को कहा था। बुधवार देर रात ही कानून मंत्रालय ने जस्टिस मुरलीधर का तत्काल प्रभाव से तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी। तत्काल कांग्रेस ने इसे लपक लिया और चौतरफा हमला बोल दिया। पार्टी ने कहा इन भाजपा नेताओं को बचाने के लिए ही जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर किया गया है।
जवाब खुद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि तबादले का राजनीतिकरण कर कांग्रेस न्यायपालिका के सम्मान को ठेस पहुंचा रही है। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की ओर से 12 फरवरी को अनुशंसा की गई थी। कोलेजियम की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश करते है। इसमें पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है। तबादले को लेकर जस्टिस मुरलीधर की सहमति भी ली गई थी। रविशंकर ने कहा कि न्यायपालिका पर दबाव बनाने की लत कांग्रेस की रही है। इतिहास गवाह है कि किस तरह सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ न्यायाधीशों को नजरअंदाज कर कनिष्ठ न्यायाधीश को गद्दी पर बिठाया गया था। जस्टिस लोया की मौत के मामले पर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर अपना फैसला दे चुका है और राहुल गांधी क्या अदालत से उपर हैं? कानून मंत्री ने कहा कि सरकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता का आदर करती है।
उससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने हमले की शुरूआत करते कहा कि मौजूदा सरकार के दौर में आधी रात को जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर हैरत वाला भले न हो मगर निश्चित रुप से यह दुखद और शर्मनाक है। न्याय को दबाने और लोगों के विश्वास को तोड़ने का यह प्रयास निंदनीय है। राहुल गांधी ने सरकार पर तंज कसते हुए जस्टिस लोया को याद किया और कहा कि उनका तबादला नहीं हुआ था। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि तबादले ने भाजपा के प्रतिशोध और न्यायपालिका पर दबाव बनाने का पर्दाफाश कर दिया है।
सुरजेवाला ने कहा कि न्यायपालिका पर अनुचित दबाव बनाने का भाजपा का इतिहास रहा है। गोपाल सुब्रमण्यम को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने के कोलेजियम की सिफारिश को मोदी सरकार ने रोक दिया था। क्योंकि नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खिलाफ गुजरात दंगों के मामले में सुब्रमण्यम वकील रहे थे। उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार गिरा कर राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को पलटने वाले जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने में लगाए गए अवरोधों की बात पुरानी नहीं हुई है। जस्टिस अकील कुरैशी की नियुक्ति में अड़चन का मामला हो या दिल्ली हाईकोर्ट की वरिष्ठ जज जस्टिस गीता मित्तल का तबादला, भाजपा सरकार ने न्यायपालिका के प्रति बदले की भावना बार-बार दिखाई है।