कर्नाटक में प्रबंधन और रणनीति में पहली बार बीस दिखी कांग्रेस
कर्नाटक की अग्निपरीक्षा केवल कर्नाटक तक सीमित रहेगी इसकी उम्मीद कम है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्नाटक की अग्निपरीक्षा केवल कर्नाटक तक सीमित रहेगी इसकी उम्मीद कम है। प्रबंधन और रणनीति में पहली बार बीस दिखी कांग्रेस यहीं से भावी राजनीति का रास्ता तैयार करने की कोशिश करेगी। खुद राहुल गांधी ने इसका ऐलान भी कर दिया है कि विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करेगी। चुनावी नतीजों में हारी कांग्रेस इसमें कितना सफल होगी यह तो भविष्य बताएगा लेकिन यह जरूर है कि तीन अहम राज्यों के आगामी चुनाव से पहले विपक्ष का मनोबल बढ़ा है।
हम विपक्षी दलों को एकजुट कर भाजपा को हराएंगे: राहुल गांधी
राजनीतिक कौशल में पहली बार सक्रिय दिखी कांग्रेस, केंद्रीय स्तर से संभाली गई कमान
कर्नाटक ने विपक्ष को दिया खड़ा होने का बल
कर्नाटक चुनाव के बाद राजनीतिक और न्यायिक स्तर पर हुई लड़ाई का संदेश काफी अहम है। कोर्ट के रुख ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगली बार फिर से उसके सामने ऐसे मामले आए तो चुनाव पूर्व गठबंधन के हाथ बाजी होगी। पिछले लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा को अकेलेदम बहुमत था वहीं राजग का धड़ा भी बड़ा था। वहीं दूसरी ओर विपक्ष में अलग अलग खेमों में कवायदें तो चल रही हैं, लेकिन धरातल भी वह बिखरा बिखरा सा है।
सच्चाई यह है कि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी ही अलग थलग थी। उसका नेतृत्व भी कई दलों को स्वीकार नहीं। और उसका मुख्य कारण यह है कि कांग्रेस के पास न तो राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखी थी और न ही कौशल। नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। कर्नाटक के चुनावी नतीजों मे भी कांग्रेस भाजपा के सामने फिर से हारी, लेकिन बहुमत के बिल्कुल करीब पहुंची भाजपा को सत्ता में आने से रोकने का पहली बार कौशल दिखाकर कांग्रेस ने विपक्षी दलों में जरूर थोड़ी प्रतिष्ठा अर्जित की है।
चुनाव नतीजों के वक्त से ही कांग्रेस ने थोड़ी फुर्ती दिखाई थी। अपने तईं ही समर्थन का प्रस्ताव लेकर जदएस के पास पहुंची और फिर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व वहीं डटकर यह सुनिश्चित करने में लगा रहा कि उसके विधायक न बिखरने पाएं। उसी दौरान दिल्ली में भी कोर्ट की लड़ाई जारी रही। यह जाहिर है कि राज्य में कुमारस्वामी सरकार से कांग्रेस को बड़ा फायदा नहीं होने वाला है बल्कि उनकी कमियों का हर्जाना कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है, लेकिन यह भी सच है कि तात्कालिक तौर पर कर्नाटक जैसे अहम राज्य में कांग्रेस को मजबूत गठबंधन साथी मिल गया है।
चुनावी मैदान में संबंध और सामंजस्य बिठाना हालांकि बहुत सरल नहीं होगा लेकिन दूसरे राज्यों में इससे विपक्ष को थोड़ा बल मिल सकता है। हालांकि अब तक किसी बड़े विपक्षी दल की ओर से राहुल के उस वक्तव्य पर सीधा सकारात्मक संदेश नहीं दिया गया है जिसमें उन्होंने एकजुट करने की बात की थी।