Move to Jagran APP

बिल पर विपक्ष का विरोध, कांग्रेस ने कहा- नागरिकता संशोधन बिल कानूनी कसौटी पर नहीं टिकेगा

संविधान अनुच्छेद 14 की भावना के खिलाफ पारित किया गया नागरिकता विधेयक सर्वोच्च अदालत की कसौटी पर टिक नहीं पाएगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 09:53 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 09:53 PM (IST)
बिल पर विपक्ष का विरोध, कांग्रेस ने कहा- नागरिकता संशोधन बिल कानूनी कसौटी पर नहीं टिकेगा
बिल पर विपक्ष का विरोध, कांग्रेस ने कहा- नागरिकता संशोधन बिल कानूनी कसौटी पर नहीं टिकेगा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्ष के अधिकांश दलों ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल को संविधान के बुनियादी ढांचे और मूल भावना के खिलाफ बताते हुए इसका जमकर विरोध किया। कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों ने कहा कि अपने सियासी एजेंडे के लिए सरकार इस विधेयक के जरिए देश में धर्म के आधार पर विभाजन की नई खायी पैदा करने जा रही है।

loksabha election banner

नागरिकता संशोधन बिल अनुच्छेद 14 की भावना के खिलाफ

जबरदस्त सियासी गरमारमी के बीच विपक्ष ने सरकार को यह चेतावनी भी दी कि संविधान अनुच्छेद 14 की भावना के खिलाफ पारित किया गया नागरिकता विधेयक सर्वोच्च अदालत की कसौटी पर टिक नहीं पाएगा।

कांग्रेस ने कहा- नागरिकता विधेयक असंवैधानिक है

लोकसभा में बिल पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि नागरिकता विधेयक न केवल असंवैधानिक बल्कि अनैतिक है क्योंकि यह बाबा साहब अंबेडकर की संविधान की भावना के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के खिलाफ उद्वेलित होना स्वाभाविक है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 और 26 के खिलाफ है।

सरकार धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती

सरकार या राज्य धर्म या संप्रदाय के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं कर सकती। मगर मौजूदा बिल धर्म के आधार पर विभेद कर रहा है क्योंकि इसमें मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह कानून पंथनिरपेक्ष नहीं है और इसीलिए संविधान की प्रस्तावना के भी खिलाफ है।

मानवीय आधार पर कोई भी शरणार्थी पनाह मांगता- कांग्रेस

कांग्रेस नेता ने सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि मानवीय आधार पर कोई भी शरणार्थी पनाह मांगता है तो धर्म के आधार पर उसे हम इनकार नहीं कर सकते।

कांग्रेस घुसपैठ के खिलाफ 

सरकार से विधेयक की खामियों को दूर करने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस घुसपैठ के खिलाफ है। इसीलिए सरकार घुसपैठ और शरणार्थियों से जुड़ा व्यापक कानून लेकर आए मगर उनकी पार्टी धार्मिक विभेद पैदा करने वाले इस विधेयक का समर्थन नहीं कर सकती।

मनीष ने शाह के आरोपों को खारिज कर कहा- सावरकर ने सबसे पहले दिया द्वि-राष्ट्र का प्रस्ताव

देश के विभाजन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराने के गृहमंत्री अमित शाह के आरोपों को भी मनीष तिवारी ने सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि द्वि-राष्ट्र का पहली बार प्रस्ताव 1935 में हिंदू महासभा के नेता वीर सावरकर लेकर आए थे।

एनडीए सरकार मुसलमानों को भयभीत रखना चाहती- दयानिधि मारन

द्रमुक नेता दयानिधि मारन ने विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि एनडीए सरकार मुसलमानों को निरंतर भयभीत रखना चाहती है और इसीलिए संविधान की भावना से परे जाकर यह कानून बनाया जा रहा है। भाजपा के घोषणा पत्र का हवाला देते हुए मारन ने कहा कि नागरिकता बिल पर उसने अपने चुनावी वादे में इसाई समुदाय का जिक्र नहीं किया था। लेकिन पश्चिमी देशों में अलग-थलग पड़ने के भय से इसाई समुदाय को नागरिकता बिल में शामिल कर लिया गया।

श्रीलंका से आए तमिल शरणार्थी 30 साल से तमिलनाडु में हैं, लेकिन सरकार ने उनकी अनदेखी की

मारन ने सवाल उठाया कि श्रीलंका से आए तमिल भाषी शरणार्थी 30 साल से तमिलनाडु में हैं मगर सरकार ने उनकी अनदेखी की है और विधेयक में इनकी नागरिकता के मुद्दे को क्यों नहीं छुआ गया है।

सरकार विवेकानंद, पटेल के भारत की भावना के खिलाफ बिल पारित करा रही- तृणमूल कांग्रेस

तृणमूल कांग्रेस के अभिजीत बनर्जी ने भी बेहद आक्रामक प्रहार करते हुए कहा कि सरकार स्वामी विवेकानंद और सरदार पटेल के भारत की भावना के खिलाफ जाकर नागरिकता बिल पारित करा रही है। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह बिल मुसलमान ही नहीं बल्कि हिन्दूओं के भी खिलाफ है।

अभिजीत ने कहा- एनआरसी लालीपॉप था तो यह बिल भी एक बड़ा जुमला है

इस बिल को एनआरसी से जोड़ते हुए अभिजीत ने कहा कि एनआरसी लालीपॉप था तो यह बिल भी एक बड़ा जुमला है। उनके अनुसार भाजपा सरकार अपनी राजनीतिक भूख के लिए नागरिकता बिल का इस्तेमाल कर रही हे मगर पश्चिम बंगाल मंे तृणमूल कांग्रेस हर कीमत पर एनआरसी का विरोध करेगी।

बिल संविधान के प्रतिकूल- बसपा

बसपा के अफजाल अंसारी ने भी बिल को संविधान के प्रतिकूल ठहराते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय को विधेयक से बाहर रख सरकार ने उनके साथ गैर-बराबरी का सलूक किया है।

विभाजनकारी बिल से देश का भला नहीं होगा- सपा

समाजवादी पार्टी के टी हसन ने भी विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इस तरह के विभाजनकारी बिल से देश का भला नहीं होने वाला। उन्होंने कहा कि 20 करोड की मुस्लिम आबादी देश के नागरिकों का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा है और इस समुदाय को निरंतर भय व आतंक के साये में रखा जाना देश के हित में नहीं होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.