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केरल विधानसभा की विशेष सत्र को बुलाने की अनुमति नहीं देना अलोकतांत्रिक- कांग्रेस

केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने मंगलवार को केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विशेष सत्र बुलाने की इजाजत देने से इन्कार कर दिया। कांग्रेस ने इसे अलोकतांत्रिक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। केरल सरकार विशेष सत्र बुलाकर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित कराने वाली थी।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 02:13 PM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 02:13 PM (IST)
केरल विधानसभा की विशेष सत्र को बुलाने की अनुमति नहीं देना अलोकतांत्रिक- कांग्रेस
कांग्रेस सांसद के सुरेश । (फोटो- एएनआइ)

तिरुअनंतपुरम, एएनआइ। केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने मंगलवार को केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विशेष सत्र बुलाने की इजाजत देने से इन्कार कर दिया। कांग्रेस ने इसे अलोकतांत्रिक और  दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। केरल सरकार विशेष सत्र बुलाकर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित कराने वाली थी। केरल के राज्यपाल द्वारा किसानों के मुद्दों पर राज्य विधानसभा की विशेष सत्र को बुलाने की अनुमति नहीं देना अलोकतांत्रिक और संविधान-विरोधी है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।  कांग्रेस सांसद के सुरेश ने यह बात कही है। 

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के सुरेश ने यह भी बताया कि किसानों के समर्थन में राहुल गांधी कल सुबह 10:45 बजे विजय चौक से राष्ट्रपति भवन तक कांग्रेस सांसदों के साथ प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे। उसके बाद वह और अन्य वरिष्ठ नेता राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मिलेंगे और उनके हस्तक्षेप के लिए 2 करोड़ हस्ताक्षरों एक ज्ञापन प्रस्तुत करेंगे।

भाजपा राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान इस कदम का स्वागत किया है। केरल के भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने राज्यपाल के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि लोकतंत्र को अपमानित करने के लिए सत्तारूढ़-विपक्षी गठबंधन का कदम असंवैधानिक था। देश की संघीय व्यवस्था को नष्ट करने के प्रयास केरल के लिए अच्छे नहीं हैं। राजनीतिक अंधापन की शिकार राज्य सरकार केरल को शर्मसार करने में लगी है। 

भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक ओ राजगोपाल ने कहा है कि केरल के राज्यपाल ने लोकतंत्र को खत्म करने के लिए सत्ता और विपक्ष के कदम को कुचल कर 'साहसी' कदम उठाया है। विधनसभा के पास राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक कानून पर सवाल उठाने की शक्ति नहीं है, जिसे भारतीय संसद के दोनों सदनों में स्पष्ट बहुमत से पारित कराया गया है। स्पीकर अपनी शक्तियों से परे कुछ करने की कोशिश कर रहे थे। संविधान की रक्षा के लिए जिम्मेदार राज्यपाल ने इस प्रयास को सफल नहीं होने दिया यह लोकतंत्र की जीत है। 


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