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कांग्रेस का वापसी करने का रोडमैप तैयार, वर्कर्स से कहा- सोशल मीडिया को छोड़, लोगों से मिले पर्सनली

कांग्रेस की राजनीतिक ताकत बहाल करने के इस मंत्र के साथ पार्टी ने अर्थव्यवस्था की मंदी पर मोदी सरकार के खिलाफ अपने पहले देशव्यापी आंदोलन का भी ऐलान कर दिया।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 09:19 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 09:24 PM (IST)
कांग्रेस का वापसी करने का रोडमैप तैयार, वर्कर्स से कहा- सोशल मीडिया को छोड़, लोगों से मिले पर्सनली
कांग्रेस का वापसी करने का रोडमैप तैयार, वर्कर्स से कहा- सोशल मीडिया को छोड़, लोगों से मिले पर्सनली

नई दिल्ली, संजय मिश्र। सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं से दो टूक कहा है कि कांग्रेस की राजनीतिक वापसी के लिए सोशल मीडिया की सक्रियता ही पर्याप्त नहीं है बल्कि पार्टी को जनता के दुख-दर्द से सीधे जुड़ना होगा। इसके लिए जनता से जुड़े मुद्दों पर आक्रामक आंदोलनों का रास्ता अपनाना होगा।

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कांग्रेस की राजनीतिक ताकत बहाल करने के इस मंत्र के साथ पार्टी ने अर्थव्यवस्था की मंदी पर मोदी सरकार के खिलाफ अपने पहले देशव्यापी आंदोलन का भी ऐलान कर दिया। आर्थिक मंदी पर 15 से 25 अक्टूबर के बीच पहले चरण के अपने आंदोलन में पार्टी रोजगार और व्यापार तबाह होने पर सरकार की घेरेबंदी करेगी।

कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद सभी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों, विधायक दल के नेताओं, महासचिवों और प्रभारियों के साथ हुई पहली बैठक में सोनिया गांधी ने पार्टी की वापसी का यह रोडमैप तय किया। बैठक में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी सदस्यता अभियान भी 15 अक्टूबर से शुरू करने का फैसला किया गया।

सोनिया ने बैठक के अपने शुरूआती संबोधन में कहा कि सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात पहुंचना तो ठीक है मगर मौजूदा स्थिति में जरूरी है कि कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता सीधे जनता से जुड़कर उनकी लड़ाई लड़ें। सूत्रों ने बताया कि चर्चा के क्रम में सोनिया की राय से अधिकांश प्रदेश नेताओं ने सहमति जताते हुए कहा कि केवल बात ही नहीं बल्कि इस पर तुरंत अमल हो। प्रदेश नेताओं ने सुझाव दिया कि आर्थिक मंदी का असर जमीन पर जनता अब महसूस कर रही है।

प्रदेश के करीब 32 नेताओं ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मंदी पर आंदोलन के जरिए कांग्रेस जनता को जोड़ सकती है। प्रदेश नेताओं की इस सलाह पर ही 15 से 25 अक्टूबर के बीच आर्थिक मंदी पर आंदोलन करने का तत्काल फैसला लिया गया। जबकि बैठक के एजेंडे में आंदोलन की पहले से कोई रूपरेखा पर चर्चा शामिल नहीं था। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और आरपीएन सिंह ने इस बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में आर्थिक मंदी पर पार्टी के पहले आंदोलन का ऐलान भी किया।

आंदोलन से पहले 20 से 30 सितंबर के बीच सभी प्रदेश इकाईयां अपने राज्यों के कांग्रेस डेलिगेट के साथ आर्थिक मंदी के हालातों पर चर्चा करेंगी। पार्टी मुख्यालय अकबर रोड पर हुई इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तो शामिल हुए मगर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इसमें शरीक नहीं हुए। राहुल के शामिल नहीं होने के सवाल पर आरपीएन सिंह ने कहा कि बैठक में महासचिवों और प्रभारियों को ही बुलाया गया था।

कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मुकदमों की बाढ़ और उनकी गिरफ्तारी की ओर इशारा करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि बदले की राजनीति इस समय चरम पर है। सत्ता के खिलाफ बोलने वालों को धमकाया और फंसाया जा रहा है। संस्थाओं को ध्वस्त कर विरोध की आवाज को कुचला जा रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र कभी इतने संकट में नहीं रहा था क्योंकि आज बहुमत का खतरनाक तरीके से दुरूपयोग किया जा रहा है। ऐसे हालत में पार्टी जनों को अपना मनोबल कायम रखते हुए कांग्रेस की विचाराधारा की लड़ाई लड़नी है। इस समय पार्टी छोड़ने वाले नेताओं पर तंज कसते हुए सोनिया ने कहा कि ऐसे लोगों ने अपने चरित्र का असली रंग दिखा दिया है।


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