तीनों राज्यों के सीएम पर अब भी सस्पेंस, अब दिल्ली में राहुल तय करेंगे नाम
मध्य प्रदेश में कमलनाथ बेशक मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी कोशिश अभी छोड़ी नहीं है।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। तीन राज्यों में बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल दिग्गजों के डटे रहने की वजह से कांग्रेस के लिए सीएम तय करना आसान नहीं रहा। मध्य प्रदेश में कमलनाथ बेशक मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी कोशिश अभी छोड़ी नहीं है। राजस्थान में अशोक गहलोत की राह में सचिन पायलट समर्थक विधायकों की जबरदस्त पेशबंदी बड़ी चुनौती साबित हो रही है। छत्तीसगढ में भूपेश बघेल की सालों की जबरदस्त मेहनत की अनदेखी कर ताम्रध्वज साहू को मुख्यमंत्री की कुर्सी देना भी आसान नहीं साबित हो रहा। इस रस्साकशी की वजह से ही तीनों राज्यों में अब गुरुवार को कांग्रेस हाईकमान मुख्यमंत्री तय करेगा।
विधायक दल की बैठक में नवनिर्वाचित विधायकों से कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षकों की हुई चर्चा और रायशुमारी के बाद तीनों ही सूबों में बुधवार शाम मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की जा सकी। इन तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल नेताओं के समर्थक विधायक जहां अपने नेता के साथ खड़े दिखाई दिए, वहीं दावेदारों में से किसी ने भी मैदान छोड़ने का संकेत नहीं दिया। इसीलिए तीनों राज्यों के पर्यवेक्षक विधायकों से रायशुमारी कर इसकी रिपोर्ट राहुल गांधी को देने दिल्ली लौट रहे हैं।
कांग्रेस के उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि पर्यवेक्षकों से चर्चा के बाद अगले लोकसभा चुनाव और पार्टी की भविष्य की सियासत को ध्यान में रखते हुए हाईकमान गुरूवार को तीनों सूबों में मुख्यमंत्री का नाम तय कर इसकी घोषणा करेगा। पार्टी नेतृत्व दूसरे प्रबल दावेदार को सहमत करने के लिए इन सूबों में डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाने के फार्मूले पर भी मंत्रणा चल रही है। हालांकि इस फार्मूले को अंतिम विकल्प के रुप में ही अपनाया जाएगा।
मध्य प्रदेश में कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने की पूरी संभावना बताई जा रही है। सूबे में कांग्रेस के पास बहुमत का जो नजदीकी आंकड़ा हासिल हुआ है उसमें सियासी परिपक्वता का उनका अनुभव ज्यादा उपयोगी माना जा रहा। साथ ही लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के लिहाज से सूबे में पार्टी के भीतर बने अंदरुनी समीकरण से छेड़छाड़ को मुनासिब नहीं माना जा रहा। सूबे के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कमलनाथ के साथ खुले तौर पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव में अपने चेहरे के दम पर कांग्रेस के चुनाव अभियान में जोश भरने की क्षमता देख सीएम कुर्सी पर अपना दावा जताने से गुरेज नहीं कर रहे। सूबे में सीएम की सियासी दौड़ की संवेदनशीलता को भांपते हुए ही पार्टी ने अपने सबसे वरिष्ठ नेताओं में एक पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी को भोपाल भेजा था। एंटनी ने विधायक दल की बैठक में हाईकमान के फैसला करने का प्रस्ताव पारित करा वहां सीधे रस्साकशी की नौबत टाल दी।
छत्तीसगढ में नक्सली हमले में कांग्रेस के पूरे प्रदेश नेतृत्व के दुखद सफाए के बाद भूपेश बघेल ने सूबे में पार्टी को नये सिरे से खड़ा कर ऐतिहासिक जीत के सफर तक पहुंचाया है। इसीलिए स्वाभाविक रुप से उनका दावा सबसे ज्यादा बनता है। मगर राज्य के जातीय सियासी समीकरण और लोकसभा चुनाव को देखते हुए ताम्रध्वज साहू को हाईकमान की पसंद के रुप में देखा जा रहा है। वहीं वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव ने भी अपनी दावेदारी छोड़ी नहीं है। कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खडगे विधायकों की राय हाईकमान को सौंपेगे और उसी आधार पर राहुल सीएम तय करेंगे।
मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे ज्यादा रस्साकशी राजस्थान में है जहां दो बार सीएम रह चुके दिग्गज अशोक गहलोत तीसरी पारी शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। मगर गहलोत को इस बार युवा सचिन पायलट के समर्थक विधायकों को राजी करना आसान नहीं हो रहा। केंद्रीय पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल काफी मशक्कत के बाद भी आम राय नहीं बना सके और अब राहुल गांधी पर सीएम तय करने का फैसला छोड़ दिया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद राहुल गांधी के लिए मुख्यमंत्री तय करने का यह पहला मौका है और वे इस वक्त कोई जोखिम लेना नहीं चाहते। ऐसे में राहुल भी विधायकों की रायशुमारी और पार्टी की सियासत में संतुलन का आकलन कर तीनों सूबों में मुख्यमंत्री तय करेंगे।