राफेल सौदा: राहुल ने जेटली को याद दिलाया चैलेंज, 'सवाल का जवाब देने में बचे 6 घंटे'
राहुल ने बुधवार शाम एक ट्वीट कर जेटली को 24 घंटे में उसका जवाब देने का चैलेंज दिया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार पर लगातार हमलावर हो रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर ट्वीट कर वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधा है। राहुल ने बुधवार शाम एक ट्वीट कर जेटली को 24 घंटे में उसका जवाब देने का चैलेंज दिया था। जिसके बाद गुरुवार को राहुल गांधी ने अरुण जेटली को याद दिलाया है कि उनके सवाल का जवाब देने में 6 घंटे से भी कम समय बचा है। राहुल ने ट्वीट कर लिखा 'डियर मिस्टर जेटली, राफेल सौदे पर जेपीसी जांच के जवाब पर डेडलाइन खत्म होने में 6 घंटे से भी कम समय बचा है। युवा भारत इंतजार कर रहा है। मुझे आशा है कि आप पीएम मोदी और अनिल अंबानी जी को ये समझा रहे होंगे कि वे आपको क्यों सुने और इसे मंजूरी दे।'
राहुल ने ट्वीट कर कहा था कि मिस्टर जेटली, राफेल रॉबरी पर देश का ध्यान लाने के लिए धन्यवाद! क्या राफेल सौदे की जांच जेपीसी से कराई जाए? लेकिन, समस्या ये है कि आपके सुप्रीम लीडर अपने दोस्तों को बचा रहे हैं। इसीलिए यह उनके लिए असुविधानजक हो सकती है। आप 24 घंटे में इसका जवाब दें, हम इंतजार कर रहे हैं।
अमित शाह का पलटवार
राहुल गांधी के ट्वीट के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पटलवार किया। शाह ने कहा ‘24 घंटे का इंतजार क्यों करना जब आपके पास अपनी जेपीसी- झूठी पार्टी कांग्रेस है। आपने राफेल की कीमत दिल्ली, कर्नाटक, रायपुर, हैदराबाद, जयपुर और संसद में अलग अलग बताई, जिससे देश को मूर्ख बनाने का आपका झूठ स्पष्ट है। लेकिन देश का आईक्यू आपसे ज्यादा है।'
राफेल क्या है?
राफेल अनेक भूमिकाएं निभाने वाला एवं दोहरे इंजन से लैस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान है और इसका निर्माण डसॉल्ट एविएशन ने किया है। राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है।
यूपीए सरकार ने क्या सौदा किया था?
भारत ने 2007 में 126 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी, जब तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भारतीय वायु सेना से प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी। इस बड़े सौदे के दावेदारों में लॉकहीड मार्टिन के एफ-16, यूरोफाइटर टाइफून, रूस के मिग-35, स्वीडन के ग्रिपेन, बोइंड का एफ/ए-18 एस और डसॉल्ट एविएशन का राफेल शामिल था। लंबी प्रक्रिया के बाद दिसंबर 2012 में बोली लगाई गई। डसॉल्ट एविएशन सबसे कम बोली लगाने वाला निकला। मूल प्रस्ताव में 18 विमान फ्रांस में बनाए जाने थे जबकि 108 हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर तैयार किये जाने थे। संप्रग सरकार और डसॉल्ट के बीच कीमतों और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर लंबी बातचीत हुई थी। अंतिम वार्ता 2014 की शुरुआत तक जारी रही लेकिन सौदा नहीं हो सका।
प्रति राफेल विमान की कीमत का विवरण आधिकारिक तौर पर घोषित नहीं किया गया था, लेकिन तत्कालीन संप्रग सरकार ने संकेत दिया था कि सौदा 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा। कांग्रेस ने प्रत्येक विमान की दर एवियोनिक्स और हथियारों को शामिल करते हुए 526 करोड़ रुपये (यूरो विनिमय दर के मुकाबले) बताई थी।