राहुल गांधी की इफ्तार पार्टीः प्रणब, प्रतिभा समेत कई हस्तियां पहुंची, केजरीवाल को न्योता नहीं
राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद यह पहली इफ्तार पार्टी है। माना जा रहा है कि इसके बहाने विपक्ष को एकजुट बनाने की कवायद हो रही है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इफ्तार में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और विपक्षी खेमे के अधिकांश दलों की मौजूदगी ने सियासी गहमागहमी काफी बढ़ाई। नागपुर में संघ मुख्यालय में जाने के बाद पहली बार कांग्रेस के कार्यक्रम में शरीक हुए मुखर्जी की राहुल गांधी के साथ दिखी गर्मजोशी के जरिये यह संदेश भी दिया गया कि पार्टी अब इस अध्याय को बंद कर चुकी है। वहीं सीताराम येचुरी से लेकर शरद यादव और दिनेश त्रिवेदी से लेकर सतीश मिश्र की मौजूदगी ने विपक्षी एकता की गाड़ी आगे बढ़ने की उम्मीदों को कायम रखा।
कांग्रेस ने दो साल के अंतराल के बाद इफ्तार का आयोजन किया था। जबकि पार्टी अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद राहुल की रहनुमाई में यह पहला इफ्तार था। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इसमें मौजूद नहीं थीं। होटल ताज पैलेस में हुए इफ्तार में हालांकि नेताओं से लेकर आए सैकडों मेहमानों की निगाहें प्रणव मुखर्जी और विपक्षी खेमे के नेताओं पर लगी थीं।
मुखर्जी की आगवानी करने के बाद राहुल खुद उन्हें लेकर दरबार हॉल में पहुंचे और दोनों पहली टेबल पर अगल-बगल की सीट पर बैठे। इस दौरान राहुल ने दादा के प्रति सम्मान और गर्मजोशी दिखायी। तो वहां मौजूद तमाम कांग्रेस नेता भी दोनों के रिश्तों की सहजता को भांपने और आंकने के लिए संघर्षरत दिखे। मुखर्जी करीब आधे घंटे तक रहे और जब राहुल उन्हें विदा करने के लिए साथ चलने लगे तो पूर्व राष्ट्रपति ने उन्हें बिठाते हुए दूसरे मेहमानों को देखने के लिए कहा।
विपक्षी एकजुटता की गाड़ी आगे बढ़ी!
कर्नाटक चुनाव के बाद विपक्षी एकता की आगे बढ़ी गाड़ी को देखते हुए राहुल के इफ्तार की सियासी अहमियत थी। माकपा के सीताराम येचुरी, शरद यादव, बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र, तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी, एनसीपी के डीपी त्रिपाठी, द्रमुक की कनीमोरी, राजद के मनोज झा, जनता दल सेक्यूलर के दानिश अली आदि की मौजूदगी ने गठबंधन को लेकर कांग्रेस की उम्मीदों को कायम रखा।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव या उनकी पार्टी का कोई प्रतिनिधि नजर नहीं आया। हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सपा का एक सांसद पार्टी का प्रतिनिधित्व करने के लिए आया था। एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी इफ्तार में शरीक नहीं हो पाए। जबकि पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी कांग्रेस अध्यक्ष के मेहमान के तौर पर मौजूद थे। पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल इफ्तार के संचालन में काफी सक्रिय दिखे।
राहुल के इफ्तार में भारत स्थित दो दर्जन से ज्यादा देशों के राजदूतों और उच्चायुक्तों ने भी शिरकत की। इसमें प्रमुख मुस्लिम देशों के राजनयिकों के अलावा कनाडा, मेक्सिको आदि के राजदूत भी शामिल थे। हालांकि पाकिस्तान के उच्चायुक्त को कांग्रेस ने इफ्तार का न्यौता नहीं भेजा था। राहुल इन विदेशी राजनयिकों की टेबलों पर जाकर उनसे भी काफी देर तक रूबरू होते रहे।
कांग्रेस के दिग्गजों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, जर्नादन द्विवेदी, मोतीलाल वोरा, आनंद शर्मा, दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित, मोहसिना किदवई आदि मौजूद थी। जबकि पार्टी के अपेक्षाकृत युवा चेहरों में शशि थरूर, दीपेंद्र हुड्डा, युवा कांग्रेस के अध्यक्ष केशव यादव आदि अपनी मौजूदगी दर्शा रहे थे। जबकि हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर भी इफ्तार के दौरान खास सक्रिय नजर आए।
नकवी की इफ्तार में महिला सशक्तिकरण
इफ्तार की राजनीति तेज है। ऐसे में जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इफ्तार के बहाने विपक्षी एकजुटता की कवायद में जुटे थे तो केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने देश के इतिहास में पहली बार विशेष तौर पर महिलाओं के लिए इफ्तार का आयोजन किया। इसमें तीन तलाक की शिकार महिलाएं भी शामिल थीं। हालांकि खुद नकवी ने इसमें किसी राजनीति से इनकार किया लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि तीन तलाक भाजपा के लिए बड़ा मुद्दा रहा है और पिछले चुनावों में इसका थोड़ा असर भी दिखा था।
नकवी के आवास पर आयोजित इफ्तार में तकरीबन डेढ़ दो सौ महिलाएं शामिल हुई। इसमें केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, स्मृति ईरानी, प्रकाश जावडेकर, जीतेन्द्र सिंह समेत कई नेताओ ने मौजूदगी दर्ज कराई। पूरे कार्यक्रम के दौरान सभी ने महिलाओं के साथ तस्वीरे खिचवाई साथ ही उनसे उनका हाल चाल जाना।
नकवी ने कहा कि उन्होंने जरूरतमंदों के लिए इस इफ्तार पार्टी का आयोजन किया है और इस इफ्तार पार्टी को लेकर किसी से भी मुकाबला नहीं कर रहे हैं। ध्यान रहे कि तीन तलाक को लेकर राजग सरकार ने काफी सक्रियता दिखाई थी। लोकसभा से यह पारित भी हो चुका है लेकिन राज्यसभा में अभी लंबित है।