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कुमारी शैलजा के नाम पर कांग्रेस का दलित कार्ड, BJP ने मेघवाल को उतारकर निकाला तोड़

राजस्थान में कुमारी शैलजा को स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैन बनाकर कांग्रेस दलित कार्ड खेल रही है। जिसके जवाब में BJP ने अर्जुन राम मेघवाल को उतारा है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 02 Jul 2018 08:10 AM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 09:01 AM (IST)
कुमारी शैलजा के नाम पर कांग्रेस का दलित कार्ड, BJP ने मेघवाल को उतारकर निकाला तोड़
कुमारी शैलजा के नाम पर कांग्रेस का दलित कार्ड, BJP ने मेघवाल को उतारकर निकाला तोड़

जयपुर (जागरण संवाददाता)। एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के मुद्दे पर पिछले दिनों देशभर में हुए दलित आंदोलन को केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रोश के रूप में देख रही कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का चेयरमैन कुमारी शैलजा को बनाकर दलित कार्ड खेला है। कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि कुमारी शैलजा के बहाने वह दलितों में यह संदेश देने में सफल होगी कि उसने चुनाव की सबसे अहम कड़ी स्क्रीनिंग कमेटी की कमान दलित नेता कुमारी शैलजा को सौंपी है। कांग्रेस नेता यह मानकर चल रहे हैं कि इस फैसले से दलितों का कांग्रेस के पक्ष में झुकाव होगा। इसके साथ ही भाजपा में चल रही दलितों को खुश करने की तैयारी से पूर्व खेला गया यह दांव पार्टी के पक्ष में माहौल बनाएगा।

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कुमारी शैलजा VS अर्जुन राम मेघवाल

इधर, भाजपा ने कुमारी शैलजा के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल को आगे बढ़ाने की रणनीति बनाई है। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि स्थानीय होने के साथ ही मेघवाल का प्रदेश के दलित समाज में काफी प्रभाव है। पार्टी को इससे राजनीतिक लाभ मिलेगा। मेघवाल के चुनावी दौरे जुलाई के अंत से प्रारंभ होंगे और वह सबसे पहले एससी-एसटी के लिए आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे और फिर बाद में अन्य क्षेत्रों में जाएंगे। मेघवाल के साथ भाजपा के अन्य दलित नेताओं को भी तैनात किया जाएगा।

पिछले चुनाव के परिणाम

2013 के विधानसभा चुनाव के परिणाम देखें तो एससी वर्ग के लिए आरक्षित 34 में से 32 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने जीत हासिल की थी। एक सीट जमींदारा पार्टी और एक सीट राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी के खाते में गई थी। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। कांग्रेस का दलित वोट बैंक भाजपा के खाते में चला गया था। इस बार माहौल थोड़ा बदला हुआ नजर आ रहा है। इसी का राजनीतिक लाभ कांग्रेस उठाना चाहती है। वहीं भाजपा अपने पिछले इतिहास को फिर दोहराना चाहती है।


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