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नेपाल मुद्दे पर कांग्रेस का भाजपा पर निशाना, बताया- भारत-नेपाल संबंधों का दुखद दिन

नेपाली संसद में नया राजनीतिक नक्शा मंजूर होने के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 07:31 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 07:31 AM (IST)
नेपाल मुद्दे पर कांग्रेस का भाजपा पर निशाना, बताया- भारत-नेपाल संबंधों का दुखद दिन
नेपाल मुद्दे पर कांग्रेस का भाजपा पर निशाना, बताया- भारत-नेपाल संबंधों का दुखद दिन

नई दिल्ली, प्रेट्र। नेपाली संसद में नया राजनीतिक नक्शा मंजूर होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को इसे भारत-नेपाल संबंधों का दुखद दिन करार दिया। भाजपा पर निशाना साधते हुए विपक्षी पार्टी ने कहा कि राष्ट्र हित की सुरक्षा के मामले में उसका स्वघोषित मजबूत नेतृत्व शुतुरमुर्ग की तरह इन्कार की मुद्रा में है।

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कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'परिपक्व राजनीतिक नेतृत्व के अभाव का विकल्प भ्रांतिपूर्ण टीवी युद्ध नहीं हो सकता।' कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी तो उन्होंने सभी पड़ोसी देशों के प्रमुखों को शपथ ग्रहण में आमंत्रित किया था, लेकिन इसके बावजूद आज पड़ोसियों के साथ भी हमारे संबंध मधुर नहीं हैं।                                                            

बता दें कि भारत की कड़ी चेतावनी के बावजूद नेपाल के नए नक्शे को मान्यता देने के लिए जरूरी संविधान संशोधन बिल को नेपाली संसद ने शनिवार को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। नए नक्शे को भारतीय सीमा में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा इलाके को शामिल करते हुए तैयार किया गया है। नेपाल के प्रमुख दलों नेपाली कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता पार्टी-नेपाल और राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी ने सर्वसम्मति से देश के संविधान की तीसरी अनुसूची में संशोधन को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। नेपाली संसद के निचले सदन के स्पीकर अग्नि सपकोता ने कहा कि 275 सदस्यों वाले सदन में मौजूद 258 में सभी ने इस बिल के पक्ष में वोट दिया।

शनिवार को सदन चर्चा के दौरान सत्तारूढ़ दल के सदस्य और पूर्व पीएम पुष्पकमल दहल ने कहा कि राजशाही के दौरान हमने जो भूमि गंवा दी थी उसे लोकतांत्रिक तरीके से वापस हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। अब यह बिल नेपाली संसद के उच्च सदन नेशनल एसेंबली में भेजा जाएगा। नेशनल एसेंबली को इसे 72 घंटे के अंदर पारित करना होगा।


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