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अखिलेश की तल्खी के बाद भी महागठबंधन पर कांग्रेस की उम्मीद कायम

माया ने भी इससे पूर्व गठबंधन इन तीनों सूबों में गठबंधन नहीं करने का दोष कांग्रेस के सिर पर मढ़ा था।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 08:24 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 07:31 AM (IST)
अखिलेश की तल्खी के बाद भी महागठबंधन पर कांग्रेस की उम्मीद कायम
अखिलेश की तल्खी के बाद भी महागठबंधन पर कांग्रेस की उम्मीद कायम

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की तल्खी के बाद भी कांग्रेस ने 2019 के सियासी संग्राम में महागठबंधन की उम्मीद छोड़ी नहीं है। पार्टी का मानना है कि अखिलेश का हमला सूबों के मौजूदा चुनावी वास्तविकता का तकाजा है और अगले लोकसभा चुनाव के तालमेल पर इसका असर नहीं पड़ेगा। सपा नेतृत्व की नाराजगी से महागठबंधन की संभावनाएं धूमिल न पड़ जाए इसका ध्यान रखते हुए कांग्रेस इस मामले को तूल देने से भी बच रही है।

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मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बसपा सुप्रीमो मायावती के बाद अखिलेश यादव ने गठबंधन को लेकर दिखाई गई कांग्रेस की बेरूखी पर उसे आड़े हाथ लिया है। सपा प्रमुख ने कांग्रेस को इशारों में यह चेतावनी तक दे डाली है कि उनकी साइकिल को रोकने का प्रयास करने वालों के हाथ झटक कर किनारे करने से उन्हें कोई गुरेज नहीं होगा। माया ने भी इससे पूर्व गठबंधन इन तीनों सूबों में गठबंधन नहीं करने का दोष कांग्रेस के सिर पर मढ़ा था। जबकि कैराना लोकसभा उपचुनाव के बाद विपक्षी एकता की पहल के तहत तीनों राज्यों में कांग्रेस के साथ सपा और बसपा के तालमेल की चर्चाएं थीं। कांग्रेस और इन दलों के नेताओं के बीच बातचीत के दौर भी हुए मगर सीटों की संख्या के विवाद में गठबंधन नहीं हुआ।

कांग्रेस के इस रुख से नाराज बसपा ने छत्तीसगढ़ में जहां अजीत जोगी की पार्टी से गठबंधन किया वहीं सपा ने मध्यप्रदेश के क्षेत्रीय दल गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से तालमेल कर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। अखिलेश ने इन दोनों सूबों के चुनाव प्रचार के दौरान ही कांग्रेस की राजनीतिक शैली पर प्रहार किया। हालांकि कांग्रेस का तर्क रहा है कि इन तीनों सूबों में सपा और बसपा जितनी सीटें मांग रहे थे वह उनके सियासी आधार से कहीं ज्यादा था। इसीलिए गठबंधन सिरे नहीं चढ़ पाया।

कांग्रेस का मानना है कि पांच राज्यों के चुनाव में उसके सकारात्मक प्रर्दशन के बाद गठबंधन को लेकर सहयोगी दलों का रुख नरम होगा। खासकर यह देखते हुए कि इन दलों के राजनीतिक अस्तित्व पर ही भाजपा सियासी प्रहार कर रही है। अखिलेश के कांग्रेस पर हमले के बारे में पूछे जाने पर पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि सपा प्रमुख के बयान को चुनावी राज्यों की सीमा से परे जाकर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए उत्तरप्रदेश में विपक्ष के प्रस्तावित महागठबंधन के प्रयासों पर भी इसका प्रतिकूल असर नहीं होगा। अखिलेश की नाराजगी को सिंघवी ने यह कहकर ठंडा करने का प्रयास किया कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है और ऐसे में वहां की राजनीतिक लड़ाई में अपनी बात कहने का उन्हें हक है।


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