बिहार में बहार में तो इस राज्य में बीजेपी प्रत्याशी की जमानत जब्त, उपचुनाव में लगा झटका
बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जहां बंपर जीत मिलती दिख रही है। वहीं तेलंगाना के जुबली हिल्स विधानसभा उपचुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। यहां कांग्रेस उम्मीदवार ने बंपर जीत हासिल की है।

जुबली हिल्स विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की जीत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए जीत की बंपर बढ़त बनाई हुई है। वहीं, इस बीच तेलंगाना में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। यहां हैदराबाद के जुबली हिल्स विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार नवीन यादव ने बीआरएस उम्मीदवार मगंती सुनीता को हराकर बंपर जीत हासिल की है। वहीं, बीजेपी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई।
तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ ने कहा कि जुबली हिल्स उपचुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन दर्शाता है कि लोग सरकार से संतुष्ट हैं। निर्वाचन आयोग के आकड़ों के अनुसार, जुबली हिल्स उपचुनाव में कांग्रेस को 98,988 और बीआरएस को 74,259 वोट मिला है। वहीं, बीजेपी मात्र 17061 वोटों पर ही सिमट कर रह गई।
बीआरएस को नकार दिया
निजामाबाद में पत्रकारों से बात करते हुए टीपीसीसी अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ ने कहा कि मतदाताओं ने के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली बीआरएस को नकार दिया है।उन्होंने कहा कि पिछले साल सिकंदराबाद छावनी सीट और अब जुबली हिल्स उपचुनाव में कांग्रेस की सफलता दर्शाती है कि लोग मुख्यमंत्री रेड्डी के नेतृत्व और सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों से संतुष्ट हैं।
राज्य में बीआरएस का कोई भविष्य नहीं
गौड़ ने कहा कि जब 2024 के लोकसभा चुनावों में बीआरएस को कोई सीट नहीं मिली, तो यह स्पष्ट हो गया था कि राज्य में उसका कोई भविष्य नहीं है। बीआरएस अब अपनी सीट बचाने में विफल रही है। जुबली हिल्स की जनता का फैसला है कि राज्य में बीआरएस का कोई स्थान नहीं है।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल के शेष तीन वर्षों में जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप काम करेगी और पार्टी 2028 में अगला विधानसभा चुनाव जीतेगी।
पिछड़ी जातियों को 42 प्रतिशत आरक्षण
जुबली हिल्स उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि यह केंद्र की भाजपा नीत सरकार द्वारा तेलंगाना विधानसभा द्वारा पहले पारित शिक्षा, रोजगार और स्थानीय निकायों में पिछड़ी जातियों को 42 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले विधेयकों को पारित न करने का परिणाम है।
बताते चले कि इस साल जून में बीआरएस विधायक मगंती गोपीनाथ के दिल का दौरा पड़ने से निधन के कारण यह उपचुनाव कराना पड़ा था। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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