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जानिए क्यों पंजाब में सरकार और संगठन का चेहरा बदलने के बाद भी खत्म नहीं हुई कांग्रेस की सिरदर्दी

पंजाब में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के दिन राहुल गांधी की चंडीगढ़ में मौजूदगी के दौरान सुनील जाखड़ ने हरीश रावत के बयान को जिस अंदाज में खारिज कर दिया उससे साफ है कि अगले चुनाव के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस का झगड़ा केवल कैप्टन तक ही सीमित नहीं रहा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 09:09 PM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 07:41 AM (IST)
जानिए क्यों पंजाब में सरकार और संगठन का चेहरा बदलने के बाद भी खत्म नहीं हुई कांग्रेस की सिरदर्दी
जाखड़ के तेवरों का संदेश साफ, सिद्धू के नेतृत्व की राह अब भी नहीं आसान

संजय मिश्र, नई दिल्ली। पंजाब में संगठन के साथ-साथ सरकार का चेहरा बदलने के बाद भी कांग्रेस की सियासी सिरदर्दी फिलहाल खत्म होती नजर नहीं आ रही है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने नवजोत सिंह सिद्धू को चुनावी चेहरा बताए जाने को लेकर पार्टी के प्रभारी महासचिव हरीश रावत पर सोमवार को जिस तरह निशाना साधा उससे साफ है कि गुटों में बंटी पंजाब कांग्रेस में सब कुछ दुरुस्त नहीं हुआ है। जाखड़ के इन तेवरों का ही असर रहा कि कांग्रेस नेतृत्व को सफाई देनी पड़ी कि अगले चुनाव में पार्टी का चेहरा सिद्धू के साथ मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी होंगे। कांग्रेस की चिंता इतनी ही नहीं है बल्कि मुख्यमंत्री पद से हटाए गए कैप्टन अमरिंदर सिंह के अगले राजनीतिक कदम को लेकर भी वह सशंकित है।

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पंजाब में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के दिन राहुल गांधी की चंडीगढ़ में मौजूदगी के दौरान सुनील जाखड़ ने हरीश रावत के बयान को जिस अंदाज में खारिज कर दिया उससे साफ है कि अगले चुनाव के नेतृत्व को लेकर प्रदेश कांग्रेस का झगड़ा केवल कैप्टन तक ही सीमित नहीं रहा। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में पिछड़ गए जाखड़ के तेवरों का सियासी संदेश यह भी है कि चाहे कांग्रेस हाईकमान सिद्धू को अगले मुख्यमंत्री के रूप में देख रहा हो मगर प्रदेश कांग्रेस के पुराने दिग्गज इतनी सहजता से पूर्व क्रिकेटर को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।

कांग्रेस हाईकमान ने रावत के बयान पर सफाई जारी की

जाखड़ के इस बयान के सियासी संदेश में भविष्य की चिंता भांपते हुए ही कांग्रेस हाईकमान ने रावत के बयान पर सफाई जारी की। कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि रावत के बयान को सही तरीके से नहीं लिया गया। उनके कहने का आशय यह था कि पार्टी सिद्धू के साथ मुख्यमंत्री चन्नी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस की ओर से आधिकारिक बयान देते हुए सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी पंजाब के अगले चुनाव में सिद्धू और चन्नी के संयुक्त नेतृत्व में जनादेश हासिल करने के लिए उतरेगी। हाईकमान की ओर से जारी बयान के बाद जाखड़ ने भी रावत पर किए गए अपने हमलों को लेकर सफाई दी, मगर यहां भी उन्होंने साफ कर दिया कि पंजाब में 2022 का चुनाव कांग्रेस राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में लड़ेगी।

चुनाव निकट आने पर कांग्रेस की चुनौतियां और बढ़ेंगी

पंजाब सरकार और संगठन के नए चेहरों को संभालने की कसरत में जुटी पार्टी इस आशंका से भी चिंतित है कि जिस तरह सियासी आपरेशन कर अमरिंदर की विदाई की राह निकाली गई उससे आहत कैप्टन पलटवार भी कर सकते हैं। इसलिए कांग्रेस नेतृत्व इस बात की पूरी कोशिश करता दिखाई दे रहा है कि ऐसे राजनीतिक फैसलों से बचा जाए जिससे कैप्टन को घायल शेर के रूप में मैदान में आने का मौका मिले। यही वजह रही कि सिद्धू के तमाम प्रयासों के बावजूद कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया। कैप्टन ने इस्तीफा देने के बाद साफ एलान कर दिया था कि सिद्धू को अगर कमान दी गई तो वह इसका खुलकर विरोध करेंगे। चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने कैप्टन को यह मौका तो नहीं दिया, मगर इसके बावजूद पार्टी के शीर्ष सियासी गलियारों में इस आशंका से इन्कार नहीं किया जा रहा कि अमरिंदर ने पार्टी से अलग होने की राह पकड़ी तो चुनाव निकट आने पर चुनौतियां और बढ़ेंगी।


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