Move to Jagran APP

MP में शिवराज सिंह चौहान को टक्कर देने के लिए कांग्रेस के पास हैं ये चेहरे

कांग्रेस में विधानसभा चुनाव 2018 के लिए चेहरा प्रोजेक्ट करने के नाम पर लंबे समय से बहस चली आ रही है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Mon, 09 Apr 2018 12:08 PM (IST)Updated: Mon, 09 Apr 2018 12:17 PM (IST)
MP में शिवराज सिंह चौहान को टक्कर देने के लिए कांग्रेस के पास हैं ये चेहरे
MP में शिवराज सिंह चौहान को टक्कर देने के लिए कांग्रेस के पास हैं ये चेहरे

भोपाल, [रवींद्र कैलासिया]। विधानसभा चुनाव 2018 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस में नेतृत्व के मुद्दे पर पार्टी के भीतर और बाहर गहमा-गहमी बढ़ती जा रही है। तमाम सर्वे और जन मानस भले ही सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को मजबूत मान रहा हों, लेकिन उनके नाम पर इतनी आसानी से पार्टी में आम सहमति बनने के आसार दिखाई नहीं दे रहे। उनका चेहरा प्रोजेक्ट होने की डगर में इतनी बाधाएं हैं, जिनसे हाईकमान तक पार नहीं पा रहा है। अभी सवा माह इसलिए भी कुछ होते नहीं दिखाई दे रहा, क्योंकि कर्नाटक चुनाव सामने आ गए हैं।

loksabha election banner

कांग्रेस में विधानसभा चुनाव 2018 के लिए चेहरा प्रोजेक्ट करने के नाम पर लंबे समय से बहस चली आ रही है। कहा जा सकता है पिछले सवा साल से पार्टी में यह गफलत की स्थिति बनी हुई है कि चुनाव अरुण यादव के नेतृत्व में होंगे या किसी और के। किसी और में दो नाम सुर्खियों में है। पहला ज्योतिरादित्य सिंधिया का और दूसरा कमलनाथ का। आलम यह है कि जब भी कोई बड़ा नेता यहां आता है तो उसके सामने सबसे पहला सवाल यही होता है। अनिर्णय की शिकार पार्टी के ये नेता दबी जुबान से इसे कोई मुद्दा नहीं मानते, लेकिन मध्यप्रदेश जैसे राज्य में जहां भाजपा की सरकार तीन कार्यकाल पूरा कर चुकी है और सामने शिवराज सिंह चौहान जैसा चेहरा मौजूद है, वहां कांग्रेस में भी किसी नेता के प्रोजेक्शन की बात दम तो रखती है। वहीं, बड़े नेता पंजाब को छोड़कर अब तक पार्टी द्वारा यह प्रयोग किसी भी राज्य में नहीं करने का तर्क देकर सवाल को टालते रहे हैं।

सर्वे से कांग्रेस की कल्पनाएं

हाल ही में विधानसभा चुनाव 2018 को लेकर जनता की सरकार के प्रति नाराजगी और पसंदीदा मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर सर्वे हुए, जिससे दौड़ में शामिल सिंधिया को सबसे आगे बताया गया। इन सर्वे से जहां सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी का प्रतिशत इतना ज्यादा बताया गया कि कांग्रेस नेताओं को बिना कुछ किए जनता से वोट हासिल करने की कल्पनाएं जाग गई हैं। मुख्यमंत्री के चेहरे की पसंद को लेकर पार्टी अलग-अलग धड़ों में बंटी दिखाई पड़ती है। एक समूह चाहता है कि सिंधिया को नेता प्रोजेक्ट किए जाने का लाभ मिलेगा। इसके पीछे जो तर्क दिए जा रहे हैं वे खारिज नहीं किए जा सकते। तर्क ये है कि एक तो वे युवा और आकर्षक है। उनकी वक्तव्य शैली प्रभावी है। युवा और महिला वर्ग का वोट पार्टी के पक्ष में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि इस राय से इत्तेफाक न रखने वाले भी कम नहीं है। कुछ लोग चाहते हैं कि सिंधिया के मुकाबले अनुभवी कमलनाथ को मौका दिया जाना चाहिए। वहीं कुछ चाहते हैं कि चुनाव में पार्टी के परफार्मेंस के बाद नेता का चयन हाईकमान करें।

दिग्विजय की पसंद कमलनाथ

कांग्रेस की राजनीति से करीब छह महीने से दूर रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अब अगले सप्ताह से प्रदेश में फिर सक्रिय भूमिका में आएंगे। विधानसभा चुनाव 2018 में उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण रहेगी। वे कई बार कह चुके हैं कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ बेहतर पसंद हो सकते हैं। मगर साथ ही वे यह भी कहते हैं कि यह अधिकार क्षेत्र हाईकमान है। दिग्विजय का सिंधिया को नहीं स्वीकारने के पीछे उनकी उम्र सबसे बड़ा कारण है जो उनके पुत्र जयवर्द्धन सिंह के राजनीतिक भविष्य पर भी प्रभाव डाल सकती है। कमलनाथ के साथ 70 साल से ज्यादा की उम्र की वजह से उन्हें यह दिक्कत नहीं है। दिग्विजय सिंह अक्टूबर में जब नर्मदा परिक्रमा पर निकले थे तब सिंधिया को कमान सौंपे जाने की चर्चा जोरों पर थी, लेकिन जानकारों को भरोसा था कि जब तक दिग्विजय सिंह की यात्रा पूरी नहीं होती तब तक कुछ नहीं होगा।

अरुण-अजय की नजदीकियां

सिंधिया की ग्वालियर-चंबल संभाग में सक्रियता व लोगों के बीच बेदाग छवि और अब सर्वे में उनका नाम सामने आने से कांग्रेस के अन्य नेताओं में चिंता की लकीरें भी दिखाई दे रही हैं। कुछ नेता जो भीतर से एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हों, वे भी सिंधिया के नाम से अंदर ही अंदर घबराए हुए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने जहां एकसाथ प्रदेश में दौरे शुरू करने के लिए न्याय यात्रा का सहारा लिया है। ये यात्रा हाल ही में तय की गई हैं और इन यात्राओं में अरुण व अजय रायसेन से भोपाल के बाद धार और फिर विंध्य क्षेत्र में पहुंचेंगे। हालांकि अभी तक कमलनाथ अपने क्षेत्र के अलावा प्रदेश में कहीं दूसरी जगह ऐसे घुमकर कांग्रेस के लिए दौरे करते नजर नहीं आए हैं, जबकि सिंधिया ग्वालियर-चंबल व इनसे लगे दूसरे क्षेत्र में अपनी सक्रियता को बनाए हुए हैं।

शिवराज सरकार से नाराजगी
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में प्रदेश प्रभारी और महासचिव दीपक बाबरिया कहते हैं- विधानसभा चुनाव को लेकर लोगों में शिवराज सरकार के प्रति नाराजगी है। मुख्यमंत्री के चेहरे पर सर्वे से कांग्रेस को कोई नुकसान या फायदा होगा इस बारे में मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.