Move to Jagran APP

Congress Politics: एक-एक कर अपनी कई सरकारें गंवा चुकी कांग्रेस, जानें- क्यों ढह रहा पार्टी का किला

तमिलनाडु को छोड़कर दक्षिण भारत के राज्य परंपरागत रूप से लंबे समय से कांग्रेस का मजबूत आधार हुआ करते थे। मगर 2014 से अब तक पार्टी इस मुकाम पर आ गई है कि पुडुचेरी जैसे प्रदेश की राजनीतिक उथल-पुथल भी इसके लिए बड़ी मुसीबत बन रही है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 07:40 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 07:40 PM (IST)
Congress Politics: एक-एक कर अपनी कई सरकारें गंवा चुकी कांग्रेस, जानें- क्यों ढह रहा पार्टी का किला
दक्षिण ही नहीं, पश्चिम भारत में भी हाशिये पर पार्टी की सियासी हनक (फाइल फोटो)

संजय मिश्र, नई दिल्ली। बीते कुछ वर्षो में एक-एक कर अपनी कई सरकारें गंवा चुकी कांग्रेस के लिए दक्षिण भारत ही नहीं समूचा पूर्वोत्तर भारत सत्ता के लिहाज से राजनीतिक रेगिस्तान बन गया है। दक्षिण में पार्टी का आखिरी किला पुडुचेरी भले सोमवार को ध्वस्त हुआ हो, मगर पूर्वोत्तर के सभी राज्यों से कांग्रेस का सफाया तो दो साल पहले ही हो गया था। वहीं पश्चिम भारत के राज्यों में भी पार्टी लंबे समय से सत्ता से दूर है।

loksabha election banner

तमिलनाडु को छोड़कर दक्षिण भारत के राज्य परंपरागत रूप से लंबे समय से कांग्रेस का मजबूत आधार हुआ करते थे। मगर 2014 से अब तक करीब सात साल के भीतर ही पार्टी इस मुकाम पर आ गई है कि पुडुचेरी जैसे छोटे प्रदेश की राजनीतिक उथल-पुथल भी इसके लिए बड़ी मुसीबत बन रही है। 2014 से पूर्व दक्षिण भारत के राज्यों- आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकारें थीं। मगर 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस नेतृत्व ने आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर अलग तेलंगाना राज्य का गठन कर दिया। यहीं से दक्षिण में पार्टी के पराभव की शुरुआत हुई। जिस आंध्र जैसे बड़े प्रदेश में कांग्रेस लगातार 10 साल से सत्ता में थी, वहां जगनमोहन रेड्डी को पार्टी से बाहर जाने का मौका देने की बड़ी चूक का नतीजा ही है कि राज्य बंटवारे के बाद आज आंध्र विधानसभा में पार्टी का एक भी विधायक नहीं है।

तेलंगाना में कांग्रेस छिन्न-भिन्न हालत में 

वहीं पार्टी ने जिस नए तेलंगाना राज्य का गठन किया, वहां भी पिछले दोनों चुनाव में क्षेत्रीय दल टीआरएस ने केवल सत्ता हासिल ही नहीं की, बल्कि कांग्रेस के विधायकों व नेताओं को बड़े पैमाने पर तोड़कर पार्टी को छिन्न-भिन्न हालत में पहुंचा दिया है। हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा का मुख्य विपक्षी दल के तौर पर उभरना और कांग्रेस को केवल दो सीटें मिलना इसका ताजा सुबूत है।

दक्षिण से पहले पूर्वोत्तर भारत पार्टी के लिए सत्ता की दृष्टि से रेगिस्तान

पुडुचेरी में दक्षिण का आखिरी किला गंवाने वाली कांग्रेस ने इससे पूर्व 21 महीने पहले कर्नाटक में जेडीएस के साथ अपनी गठबंधन सरकार खो दी थी। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे और पाला बदल कर भाजपा का दामन थाम लेने के चलते कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरी। वैसे दक्षिण से पहले पूर्वोत्तर भारत पार्टी के लिए सत्ता की दृष्टि से रेगिस्तान दिसंबर 2018 में ही बन गया था, जब मिजोरम के चुनाव में कांग्रेस को शिकस्त मिली। मिजोरम पूर्वोत्तर में कांग्रेस शासित आखिरी राज्य था।

पश्चिम भारत में भी पार्टी की हनक लगभग हाशिये पर

पश्चिम भारत में गुजरात और गोवा में तो पार्टी सत्ता से लंबे समय से बाहर है। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की गठबंधन सरकार में वह तीसरे नंबर की साझेदार है। इस लिहाज से पश्चिम भारत में भी पार्टी की हनक लगभग हाशिये पर है। मध्य प्रदेश जैसे बड़े सूबे में ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी को हल्के में लेना पिछले साल कांग्रेस को भारी पड़ गया और वहां की सत्ता चली गई। अब केवल छत्तीसगढ़, राजस्थान और पंजाब ये तीन सूबे ही बचे हैं, जहां कांग्रेस की सरकारें हैं। वैसे पांच राज्यों में अगले दो-तीन महीने में चुनाव होने हैं, जिसमें केरल और पुडुचेरी में कांग्रेस के पास दक्षिण में सत्ता के अपने रेगिस्तान को फिर से हरा-भरा करने का मौका है। तमिलनाडु में भी द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन को सत्ता का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। हालांकि बंगाल और असम के चुनाव कांग्रेस के लिए बेहद मुश्किल माने जा रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.