छत्तीसगढ़ में भाजपा के बाद अब कांग्रेस सरकार तलाशेगी भगवान राम को
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि प्रदेश के जिन स्थानों से राम गुजरे थे उन सभी को चिह्नित करके विकसित किया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, रायपुर। कांग्रेस हमेशा ही भाजपा पर राम के नाम पर सियासत करने की बात कहती रही है, मगर अब छत्तीसगढ़ में उसकी सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर उन स्थानों को विकसित करने का निर्णय लिया है, जहां-जहां राम के पैर पड़े थे। छत्तीसगढ़ में राम वनगमन मार्ग को दुनिया में पहचान दिलाने की कांग्रेस सहित बघेल सरकार ने कवायद शुरू कर दी है।
भगवान राम ने वनवास का लंबा समय छत्तीसगढ़ में गुजारा था
भगवान राम ने अपने वनवास का लंबा समय सीता और लक्ष्मण के साथ छत्तीसगढ़ की धरा पर गुजारा था। अब कांग्रेस सरकार ने भगवान राम के वनगमन मार्ग के माध्यम से न केवल प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है, बल्कि छत्तीसगढ़ को भगवान राम के जीवन से जोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा की राम भक्ति का भी जवाब देना चाहती है। अभी तक प्रारंभिक तौर पर जो चर्चा हुई है, उसके मुताबिक कोरिया जिले के बैकुंठपुर से सुकमा जिले के इंजरम तक मार्ग (राम के वनगमन) को विकसित किया जाएगा और जगह-जगह राम भवन बनाने का विचार चल रहा है।
केंद्र सरकार ने तीन साल पहले बनाया था प्रोजेक्ट
केंद्र सरकार ने 2016 में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने को राम वनगमन मार्ग में आने वाले महत्वपूर्ण स्थानों को जोड़ने 'धार्मिक पर्यटन वनगमन मार्ग' नाम से सड़क बनाने के लिए प्रोजेक्ट बनाया था। इस प्रोजेक्ट के तहत कोरिया जिले में राम वनगमन मार्ग की 150-200 किमी सड़क बननी है। प्रदेश के पहले वित्त मंत्री रामचंद्र सिंहदेव ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मिलकर केंद्र सरकार से चर्चा करके इस मार्ग पर काम शुरू कराने की मांग भी की थी।
बैकुंठपुर से आगमन और इंजरम से प्रस्थान हुआ था
कोरिया जिले के बैकुंठपुर से छत्तीसगढ़ में राम ने प्रवेश किया था। वहां रेड नदी (रेणुका नदी) के किनारे स्थित जमदग्नि यानी परशुराम के पिताजी के आश्रम पहुंचे थे। इसके बाद रामगढ़ विश्रामपुर, मैनपाट, धरमजयगढ़, लक्ष्मण पादुका, चंद्रहासिनी चंद्रपुर, शिवरीनारायण, कसडोल होते हुए तुरतुरिया में वाल्मीकि आश्रम पहुंचे थे। वहां से सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, पंचकोशी, मधुबन, रद्री होते हुए सिहावा श्रृंगी ऋषि साऋषि आश्रम पहुंचे थे। उसके बाद नारायणपुर राकसहाड़ा, चित्रकोट, बारसूर, गीदम होते हुए कुटुमसर पहुंचे। फिर शबरीनदी के किनारे सुकमा रामारम होते हुए कोंटा, इंजरम, सबरी नदी भद्राचलम के किनारे पर्ण कुटी में रहे। भगवान श्रीराम की ज्यादातर यात्राएं नदियों के जरिये ही हुई। इतिहासकारों की मानें तो छत्तीसगढ़ से भगवान राम का संबंध यहां तक बताया जा रहा है कि राम 14 वर्ष का वनवास काटने दंडकारण्य यानी बस्तर संभाग में पहुंचे थे।
छत्तीसगढ़ की धरा पर पड़े थे राम के पद
पीसीसी के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ की धरा पर राम के पद पड़े थे, यह हमारी लिए सौभाग्य की बात है। राम के नाम पर राजनीति करने वाली भाजपा 15 साल में राम वनगमन मार्ग को विकसित नहीं कर पाई। कांग्रेस सरकार यह काम करेगी
छत्तीसगढ़ के कण-कण में राम हैं
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कण-कण में राम हैं। हमारी परंपरा और संस्कृति में राम रचे-बसे हैं। भगवान राम वनवास के दौरान लंबे समय प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में रहे। प्रदेश के जिन स्थानों से राम गुजरे थे, उन सभी को चिह्नित करके विकसित किया जाएगा