अरुण जेटली ने पीएम मोदी के बयान पर संसद में दिया स्पष्टीकरण, गतिरोध खत्म
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए बयान पर बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में स्पष्टीकरण दिया।
नई दिल्ली, जेएनएन। संसद के शीतकालीन सत्र के शुरुआत से कांग्रेस संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पीएम मोदी के बयान पर माफी मांगने की मांग पर अड़ी हुई थी। लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली के द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी के बयान पर राज्यसभा में स्पष्टीकारण देने के बाद कांग्रेस ने अपनी जिद छोड़ दी है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में स्पष्टीकरण दिया। इससे संसद के शीतकालीन सत्र के शुरुआत से चला आ रहा गतिरोध दूर हो गया। जेटली ने कहा कि उनपर सवाल नहीं उठाए गए। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में उन पर सवाल नहीं उठाया, न ही उनका पूर्व पीएम मनमोहन सिंह या पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अन्सारी की देश के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल खड़ा करने का मतलब था। ऐसी कोई भी धारणा गलत है, हम इन नेताओं का बहुत सम्मान करते हैं और हमें भारत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर गर्व है।'
जेटली के बाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री के बयान पर स्पष्टीकरण के लिए शुक्रिया। हम अपनी पार्टी के सदस्यों के सभी उन बयानों से खुद को अलग करते हैं, जो प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाते हैं। हम नहीं चाहते कि भविष्य ऐसा कोई भी बयान या मुद्दा सामने आए।
इस बीच संसद में कुलभूषण जाधव का मामला भी उठा। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में कहा कि कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी के साथ जिस तरह का व्यवहार हुआ, हम उसकी निंदा करते हैं। जाधव को भारत वापस लाना चाहिए। इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि वह गुरुवार को इस मामले में संसद सदस्यों के सामने अपना बयान देंगी।
इससे पहले लोकसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए बयान पर फिर कांग्रेस ने हंगामा किया। हंगामे की वजह से लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा में अनंत कुमार हेगड़े के बयान को लेकर हंगामा हुआ। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने उच्च सदन में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि अगर किसी शख्स को संविधान पर विश्वास नहीं है, तो उसे संसद का सदस्य होने का कोई अधिकार नहीं है।
संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले कांग्रेस ने लोकसभा में अनंत कुमार हेगड़े के बयान को लेकर स्थगन प्रस्ताव दिया है। उधर नियम 267 के तहत कांग्रेस ने राज्य सभा में कार्यवाही रोकने का नोटिस भी दिया है।
बता दें कि गुरुवार को सुबह 11 बजे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज राज्यसभा में और 12 बजे लोक सभा में कुलभूषण जाधव मामले में बयान देंगी। इस बीच अनंत कुमार ने तीन तलाक के बिल पर सभी पार्टियों से विनम्र निवेदन किया है। उन्होंने कहा है कि हम सभी विपक्षी दलों से अपील करते हैं कि तीन तलाक पर बिल को पास करने में मदद करें।
दरअसल, केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने धर्मनिरपेक्ष लोगों का मजाक उड़ाने वाला बयान देकर एक और विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष लोग अपनी जड़ों से अनजान होते हैं। बता दें कि 4 दिनों के संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही बुधवार को एक फिर शुरू होनी है। बता दें कि इससे पहले कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर दिए गए बयान पर पीएम नरेंद्र मोदी से माफी मांगने की मांग पर अड़े हुए थे। हालांकि भाजपा ने साफ कर दिया है कि पीएम मोदी सदन में कोई माफी नहीं मांगेंगे।
जानकारी मिल रही है कि मुस्लिमों में एक ही बार में तीन तलाक कहने की प्रथा को आपराधिक बनाने वाला विधेयक लोकसभा में गुरुवार को पेश किया जाएगा। इसके लिए भाजपा ने कमर कस ली है। भाजपा ने विप जारी करके लोकसभी सांसदों को गुरुवार और शुक्रवार को संसद में उपस्थित रहने को कहा है। भाजपा संसदीय दल की बैठक गुरुवार को सुबह 9:30 बजे होगी।
तीन तलाक विधेयक
गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक तैयार किया है। विधेयक में एक ही बार में तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत चाहे बोलकर, लिखित में, ईमेल, एसएमएस या वाट्सएप से कहने को गैरकानूनी और अमान्य बनाया गया है। ऐसा करने वाले पति के लिए तीन साल जेल का प्रावधान किया गया है। इस महीने के शुरू में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी। विधेयक को पेश करने के लिए पिछले सप्ताह सूचीबद्ध किया गया था। विधेयक के प्रावधान के अनुसार, पति को जुर्माना भी किया जा सकता है। जुर्माना कितना होगा इसका फैसला मामले की सुनवाई करने वाले दंडाधिकारी करेंगे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तलाक-ए-बिद्दत को अमान्य कर दिए जाने के बाद भी यह प्रथा नहीं रुकी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए विधेयक लाया जा रहा है।
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