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कृषि विधेयकों पर मची सियासी रार, विपक्षी खेमे को साधने में जुटी कांग्रेस, फिर भी सरकार का पलड़ा भारी

विपक्षी खेमे की एकजुटता का पूरा दारोमदार तृणमूल कांग्रेस पर टिका है जिसने अभी खुलकर विधेयक पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 09:28 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 09:28 PM (IST)
कृषि विधेयकों पर मची सियासी रार, विपक्षी खेमे को साधने में जुटी कांग्रेस, फिर भी सरकार का पलड़ा भारी
कृषि विधेयकों पर मची सियासी रार, विपक्षी खेमे को साधने में जुटी कांग्रेस, फिर भी सरकार का पलड़ा भारी

जागरण ब्यूरो नई दिल्ली। कृषि सुधारों से जुड़े दो विधेयकों पर मची सियासी रार में सरकार ने लोकसभा में भले ही बाजी मार ली है मगर राज्यसभा में उसे ज्यादा तगड़े विरोध से रूबरू होना होगा। इन विधेयकों का जबरदस्त विरोध कर रही कांग्रेस ने एनडीए में इसको लेकर पड़ी फूट के बाद राज्यसभा में विपक्षी खेमे के दलों को साधने की कसरत तेज कर दी है। एनडीए के साथी अकाली दल के अलावा बसपा सुप्रीमो मायावती ने दोनों विधेयकों पर अपनी असहमति जाहिर कर राज्यसभा में सत्तापक्ष की चुनौती में इजाफे का संकेत कर दिया है।

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बीजद, टीआरएस, वाइएसआर कांग्रेस और अन्नाद्रमुक के चलते सरकार का पलड़ा भारी

विपक्षी दलों को एकजुट करने की कांग्रेस की कोशिशों के साथ विधेयक के विरोध में सामने आते कुछ क्षेत्रीय दलों के रुख को देखते हुए इन दोनों विधेयकों को राज्यसभा में पारित कराने के लिए सरकार का पूरा दारोमदार अब बीजद, टीआरएस, वाइएसआर कांग्रेस और अन्नाद्रमुक पर रहेगा। एनडीए के लिए राहत की बात यह है कि बीजद लगातार सियासी रुप से चुनौतीपूर्ण मुद्दों पर सरकार का साथ देती रही है। इसी तरह वाइएसआर कांग्रेस भी भाजपा के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्ते निभा रही है। अन्नाद्रमुक तो औपचारिक रुप से एनडीए के साथ है। इन दलों के साथ होने से जाहिर तौर पर विपक्षी चुनौती मजबूत होते हुए भी सरकार का पलड़ा भारी है।

कांग्रेस के विधेयक पर विरोध के चलते कई क्षेत्रीय दलों पर बना दबाव

राज्यसभा में इन दोनों विधेयकों की राह रोकने के लिए विपक्षी खेमे को एनडीए के इन मित्र दलों में सेंध लगानी होगी। हालांकि इस मुश्किल चुनौती के बाद भी कांग्रेस के विधेयक पर आक्रामक विरोध के चलते कई क्षेत्रीय दलों पर दबाव बना है। विपक्षी खेमे में शामिल शिवसेना ने लोकसभा में तो इस बिल पर ज्यादा एतराज नहीं जताते हुए एक तरह से समर्थन किया मगर कांग्रेस और एनसीपी के विरोध को देखते हुए राज्यसभा में उस पर रुख बदलने का दबाव है।

तृणमूल कांग्रेस ने विधेयक पर नहीं खोले पत्ते

दोनों बिलों के कुछ प्रावधानों से जुड़े सवालों के समाधान की बात कह शिवसेना ने शुक्रवार को राज्यसभा में अपने रुख बदलने का संकेत भी दे दिया। विपक्षी खेमे की एकजुटता का पूरा दारोमदार तृणमूल कांग्रेस पर टिका है जिसने अभी खुलकर विधेयक पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। समाजवादी पार्टी पहले से ही इन विधेयकों की खिलाफत कर रही है।


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