सांसद निधि के दुरुपयोग को लेकर कांग्रेस ने मांगा केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति का इस्तीफा
गोहिल ने कहा कि पीएम मोदी की करीबी होने की वजह से स्मृति का प्रभाव है। इसीलिए बिना टेंडर के ही इतनी बड़ी राशि सांसद निधि से एक एनजीओ को जारी की गई।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी पर सांसद निधि में अनियमिता का बड़ा आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है। कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पार्टी ने दावा किया कि स्मृति ने अपनी सांसद निधि से बिना टेंडर के ही 5.93 करोड रुपये का ठेका एक एनजीओ को दे दिया।
सांसद निधि के दुरूपयोग का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला और शक्ति सिंह गोहिल ने इस मामले में केंद्रीय मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होने पर अदालत जाने का पार्टी का विकल्प खुला होने की बात भी कही है।
सुरजेवाला और गोहिल ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कैग रिपोर्ट में स्मृति ईरानी के सांसद निधि में गड़बड़ी की बात सही साबित होने का दावा करते हुए कहा कि ये पद के दुरुपयोग का मामला है। गोहिल ने कहा इस मामले में स्मृति ने एक गांव को गोद लिया और इस गांव को मिलने वाले पैसे को खुद की जेब में ले लिए और गुजरात के आनंद जिले के कलेक्टर की रिपोर्ट से इसकी पुष्टि होती है।
कलेक्टर ने मामले की जांच के बाद सांसद निधि जारी करने वाले विभाग के उपसचिव को इस बारे में चिठ्ठी लिखी जिसमें पाया गया कि टेंडर की बजाय मंत्री के यहां सीधे फोन कर एक एनजीओ को काम का ठेका देने का आदेश दिया जाता था।
गोहिल ने कहा कि पीएम मोदी की करीबी होने की वजह से स्मृति का प्रभाव है। इसीलिए बिना टेंडर के ही इतनी बड़ी राशि सांसद निधि से एक एनजीओ को जारी की गई। जबकि नियम के हिसाब से एक सांसद अपने पूरे कार्यकाल में केवल 50 लाख रुपये तक ही किसी एनजीओ को दे सकता है। इस शिकायत की जांच कराने वाले कलेक्टर का तबादला कर परेशान किया गया। मगर इससे पहले कलेक्टर ने जांच कराई जिसमें पाया गया कि काम के कई दावे तो बिल्कुल फर्जी हैं। इसी जांच में कलेक्टर ने 4 करोड 8 लाख 43 हजार रुपये की रिकवरी किए जाने की रिपोर्ट दी।
कैग की रिपोर्ट मीडिया को जारी करते हुए गोहिल ने कहा कि कैग ने भी जांच में इस बात की तस्दीक की है कि काम पूरा होने का फर्जी सर्टिफिकेट देकर एनजीओ ने पैसे हासिल कर लिए। गोहिल और सुरजेवाला दोनों ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत केंद्रीय मंत्री के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की जानी चाहिए और ऐसा नहीं हुआ तो इसके लिए अदालत जाने का कांग्रेस का विकल्प खुला है।