कांग्रेस ने मांगी जीएसटी की एक दर, मोदी सरकार ने कहा यह सिंगापुर नहीं
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जीएसटी के 28 फीसद टैक्स वाले स्लैब को तुरंत खत्म करने की मांग की।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) लागू करने के एक साल पूरा होने पर सरकार भले ही इसकी सफलता का जश्न मना रही है, लेकिन कांग्रेस ने सवाल खड़ा किया है। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जीएसटी की अलग-अलग दरों पर सवाल खड़ा किया और कहा कि यदि अलग-अलग ही दरें रखनी है, तो इसे आरएसएस टैक्स कहें। उन्होंने जीएसटी के 28 फीसद टैक्स वाले स्लैब को तुरंत खत्म करने की मांग की। और कहा कि टैक्स का कोई भी स्लैब 18 फीसद से अधिक नहीं होना चाहिए।
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल के तंज पर जेटली का पलटवार
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने यूं तो काग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को संबोधित करते हुए जवाब दिया, लेकिन वह चिदंबरम के लिए भी था। उन्होंने कहा कि एक दर सिंगापुर जैसे देश के लिए सही हो सकता है जहां खाने की चीजों पर और विलासिता की वस्तु पर एक ही टैक्स हो, लेकिन भारत जैसे देश मे नहीं। उन्होंने कांग्रेस की इस सोच पर तर्कहीन व गलत बताया। पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाने के कांग्रेस की मांग पर पलटवार करते हुए जेटली ने कहा कि राजग सरकार इसका प्रयास कर रही है। जबकि कांग्रेस काल में पेट्रोलियम को स्थायी रूप से बाहर रखे जाने का प्रस्ताव था।
रविवार को सरकार पर हमला करने के लिए कांग्रेस ने पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम को उतारा था। उन्होंने कहा कि जीएसटी का लागू होना उनके लिए खुशी की बात है, क्योंकि यह यूपीए की ही सोच थी, हालांकि तब भाजपा नेता इसका विरोध कर रहे थे, लेकिन इसे जिस तरीके से लागू किया गया, वह गलत था। यही वजह है कि जीएसटी आज लोगों को बीच खौफ का शब्द बन गया।
उन्होंने कहा कि जिस तरीके से इसके लागू होने के बाद वन नेशन और वन टैक्स सहित देश के आर्थिक विकास की बात की जा रही है, उसे भी हासिल नहीं किया जा सका है। जो इस सरकार की एक बड़ी असफलता थी। जो वह छुपा रही है। सरकार के टैक्स वसूली के दावों को भी उन्होंने गलत बताया और कहा इसमें रिफंड को नहीं जोड़ा गया है, अन्यथा आंकड़ा और कम है। चिदंबरम ने इस दौरान तमिलनाडु के वित्त मंत्री के उस बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने विधानसभा में जीएसटी और नोटबंदी के चलते प्रदेश में पचास हजार छोटे उद्योगों के बंद और पांच लाख नौकरियों के जाने का दावा किया है।
उन्होंने इस दौरान सरकार को सात अहम सुझाव भी दिए, जिसमें टैक्स को 18 फीसद से अधिक न रखने, जीएसटीआर-2 और जीएसटीआर-3 फार्म तुरंत जारी करने, एक तिमाही में एक ही रिटर्न भरने और जीएसटी कानून के बदलावों पर विपक्षी दलों से बातचीत करने और इसे मानसून सत्र में पेश करना आदि रहा है।
कांग्रेस की ओर से इस दौरान पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने भी जीएसटी को लेकर सरकार पर हमला बोला और कहा कि जीएसटी लागू के बाद देश की अर्थव्यवस्था में उछाल आने की जो एक उम्मीद थी, उसे भी इस सरकार ने खत्म कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जीएसटी काउंसिल ने भाजपा के लोगों को दबदवा है, वहां उनकी मांगों को अहमियत नहीं दी जा रही है।