कांग्रेस का खेती-किसानी से जुड़े अध्यादेशों का मुखर विरोध का एलान, विपक्षी दलों से इसमें शामिल होने की भी अपील
कांग्रेस नेता ने कृषि विशेषज्ञों का हवाला देते हुए कहा कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में शांता कुमार कमिटी की रिपोर्ट लागू करना चाहती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने खेत-खलिहान-अनाज मंडियों पर तीन अध्यादेशों का देश के किसानों-मजदूरों और आढ़ती के खिलाफ बताते हुए संसद से सड़क तक इसका भारी विरोध करने का ऐलान किया है। संसद के मानूसन सत्र से ठीक दो दिन पहले इसकी घोषणा करते हुए पार्टी ने किसानों के हित से जुड़े इस मुद्दे पर विपक्ष के अन्य दलों से भी विरोध में शामिल होने की अपील की। कांग्रेस के अनुसार इन अध्यादेशों को संसद में कानूनी जामा पहनाने की तैयारी कर चुकी सरकार खेती और किसानी को पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का रास्ता बना रही है।
कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि अध्यादेश वाले कानूनों से अनाज मंडी व सब्जी मंडी से कृषि उपज खरीद की व्यवस्था पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। किसानों को न न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा, न ही बाजार भाव। सुरजेवाला ने बिहार का उदाहरण गिनाते हुए कहा कि 2006 में इस व्यवस्था को सूबे में खत्म कर दिया गया और आज बिहार के किसान बदहाल हैं। नई कानूनी व्यवस्था में मंडी की प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाएगी क्योंकि मुठ्ठी भर कंपनियां ही मंडी की बजाय खेतों में ही किसान की फसल खरीद लेंगी। इससे किसान की मोलभाव की शक्ति खत्म हो जाएगी। किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की छूट के दावे को भ्रामक करार देते हुए सुरजेवाला ने कहा कि 86 फीसद किसान दो एकड़ से कम खेती वाले हैं जो अपनी फसल बाहर नहीं ले जा सकते। इतना ही नहीं मंडियां खत्म होने से वहां काम करने वाले लाखों-करोड़ों मजदूरों, आढ़तियों, मुनीम, ढुलाईदारों, ट्रांसपोर्टरों, शेलर आदि का रोजी-रोजगार छीन जाएगा और राज्यों की आय भी खत्म हो जाएगी।
शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट लागू करना चाहती है मोदी सरकार
कांग्रेस नेता ने कृषि विशेषज्ञों का हवाला देते हुए कहा कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में शांता कुमार कमिटी की रिपोर्ट लागू करना चाहती है। ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही न करनी पड़े और सरकार को सालाना 80,000 से एक लाख करोड़ की बचत हो। इसी तरह कांट्रैक्ट खेती के प्रावधान में गरीब किसान को बड़ी कंपनियों के साथ अदालत व अफसरशाही के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है। अध्यादेश में जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों को लूट की छूट होगी। इसमें न खेत मजदूरों के अधिकारों के संरक्षण का प्रावधान है और न ही जमीन जोतने वाले बंटाईदारों का। सुरजेवाला ने सरकार को आगाह किया कि इन किसान और मजदूर विरोधी अध्यादेशों को वापस नहीं लिया तो भाजपा को इसका बड़ा राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ेगा।