Move to Jagran APP

महाराष्ट्र में भाजपा की मात को विपक्षी सियासत का निर्णायक मोड़ मान रही कांग्रेस

विपक्ष के दूसरे दलों को भी अहसास हो गया है कि भाजपा को मात देने के लिए सभी पार्टियों को देर-सबेर एकजुट होना ही पड़ेगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 09:54 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 09:54 PM (IST)
महाराष्ट्र में भाजपा की मात को विपक्षी सियासत का निर्णायक मोड़ मान रही कांग्रेस
महाराष्ट्र में भाजपा की मात को विपक्षी सियासत का निर्णायक मोड़ मान रही कांग्रेस

संजय मिश्र, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र में भाजपा को मिली सियासी मात को कांग्रेस सूबे में अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने की लड़ाई की बड़ी कामयाबी मान रही है। पार्टी इस घटना को विपक्षी दलों के लिए राष्ट्रीय राजनीति में नई शुरूआत के निर्णायक मोड़ के रुप में भी देख रही है। इसीलिए महाराष्ट्र में सत्ता की बाजी पलटने के बाद जश्न मनाने की बजाय कांग्रेस के सियासी रणनीतिकारों ने सूबे में नई सरकार के गठन की मोर्चेबंदी की कमान तत्काल थाम ली।

loksabha election banner

फडणवीस के इस्तीफा के बाद भी कांग्रेस अनहोनी को लेकर सशंकित थी

महाराष्ट्र में राजनीतिक बदलाव को लेकर कांग्रेस की बेचैनी और जरूरत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंपने के बाद भी पार्टी के रणनीतिकार सहज नहीं थे। वे इसे लेकर सशंकित दिखे कि फिर कोई 'अनहोनी' न हो जाए। इसी आशंका में पार्टी के कानूनी व सियासी रणनीतिकार निरंतर शरद पवार और उद्धव ठाकरे से अगले राजनीतिक कदमों पर चर्चा करते रहे।

दुबारा राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर भी मशविरा हुआ

इस दौरान वकीलों की ओर से राज्यपाल के यहां सरकार बनाने का दावा दोहराने की चिठ्ठी भेजने से लेकर दुबारा राष्ट्रपति शासन लगाने की कोई गुंजाइश न मिले जाए इसकी सियासी और कानूनी पेशबंदी के कदमों पर मशविरा होता रहा। तो मुंबई में इस रणनीति को अमलीजामा पहनाने के लिए कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के नेताओं की एक विशेष क्रैक टीम बना दी गई।

कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र जीवन-मरण से कम का प्रश्न नहीं

संवैधानिक प्रक्रिया के हिसाब से विपक्षी दलों को राज्यपाल सरकार बनाने का मौका तो देंगे ही फिर कांग्रेस की अति सर्तकता और बेचैनी की वजह क्या है? कांग्रेस के शीर्ष सियासी रणनीतिकारों की टीम के एक वरिष्ठ सदस्य ने इस पर कहा कि हमारी पार्टी के लिए महाराष्ट्र जीवन-मरण से कम का प्रश्न नहीं है।

यदि फडणवीस सत्ता बचा ले जाते तो कांग्रेस के अधिकांश विधायकों के टूटने का डर था

फडणवीस सत्ता बचा ले जाते तो फिर अगले एक साल के अंदर भाजपा न केवल कांग्रेस के अधिकांश विधायकों को तोड़ लेती, बल्कि महाराष्ट्र में पार्टी का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाता। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के एक सांसद सहित 35 विधायकों के अलावा तमाम जिलों के उसके मजबूत नेताओं को तोड़ चुकी है जिसकी वजह से पार्टी संगठन अंदर से हिल चुका है।

किसी भी सूरत में भाजपा को महाराष्ट्र की सत्ता पर बेदखल करना था

इसीलिए कांग्रेस की रणनीति साफ तौर पर किसी सूरत में भाजपा को महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज होने से रोकना था। महाराष्ट्र में को-आपरेटिव को सियासत की संजीवनी माना जाता है और लंबे समय तक सत्ता से बाहर रहने की हालत में पार्टी से लोगों का खाली होना तय था। सियासी अस्तित्व बचाने की यह बचैनी ही रही कि फडनवीस के इस्तीफा देने के दो घंटे बाद तक राजभवन की कोई सक्रियता न देख कांग्रेस रणनीतिकारों में खलबली मच गई कि कहीं भाजपा दुबारा राष्ट्रपति शासन न लगवा दे।

कांग्रेस किसी भी आपात स्थिति से निपटने को तैयार थी

सियासी रणनीतिकारों ने तत्काल कपिल सिब्बल, अभिषेक सिंघवी समेत कई वकीलों से आशंका के इस पहलू पर भी चर्चा कर किसी आपात स्थिति के लिए तैयारी तक कर ली।

राजभवन से सरकार बनाने के लिए गठबंधन को बुलावा आने पर कांग्रेस ने ली राहत की सांस

हालांकि राजभवन से जब सरकार बनाने के लिए गठबंधन को बुलावा का संकेत मिलने की खबर आई तो रणनीतिकारों ने राहत की सांस ली।

महाराष्ट्र की घटना राष्ट्रीय राजनीति में नया मोड़ साबित होगी

संसद भवन परिसर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शरद पवार और उद्धव से लगातार संपर्क साधे रखने वाले कांग्रेस के इस रणनीतिकार ने कहा कि महाराष्ट्र ही नहीं यह घटना विपक्षी दलों के राष्ट्रीय राजनीति में नये दौर की शुरूआत का मोड़ साबित होगी।

भाजपा को मात देने के लिए सभी पार्टियों को एकजुट होना पड़ेगा

शिवसेना का विपक्षी राजनीति के मोर्चे में आना इस लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। उनके मुताबिक फडणवीस को रातोंरात शपथ दिलाने की घटना के बाद शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी ने जिस मजबूती से दोतरफा लड़ाई लड़ी उससे विपक्ष के दूसरे दलों को भी अहसास हो गया है कि भाजपा को मात देने के लिए सभी पार्टियों को देर-सबेर एकजुट होना ही पड़ेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.