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राफेल को कांग्रेस ने ओलांद की महिला मित्र के फिल्म करार से जोड़ा

राफेल सौदे से दो दिन पहले फिल्म बनाने का समझौता महज संयोग नहीं बल्कि यह हितों के टकराव का मामला है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 09:47 PM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 12:17 AM (IST)
राफेल को कांग्रेस ने ओलांद की महिला मित्र के फिल्म करार से जोड़ा
राफेल को कांग्रेस ने ओलांद की महिला मित्र के फिल्म करार से जोड़ा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राफेल विमान सौदे को लेकर सवालों की बौछार कर रही कांग्रेस ने फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति ओलांद की महिला मित्र की कंपनी और अनिल अंबानी समूह की एक कंपनी के बीच करार को भी इस डील से जोड़ा है। पार्टी ने कहा है कि फ्रांस और भारत के अखबारों में प्रकाशित इन तथ्यों से साफ है कि राफेल सौदे से दो दिन पहले फिल्म बनाने का समझौता महज संयोग नहीं बल्कि यह हितों के टकराव का मामला है।

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वित्तमंत्री अरुण जेटली पर कांग्रेस के सवालों का जवाब नहीं देने का आरोप लगाते हुए पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार पर पांच सवाल दागे। उन्होंने कहा कि जिस कंपनी को राफेल का आफसेट कांट्रेक्ट मिला उसके प्रमुख फ्रांस में डील की घोषणा के समय थे या नहीं सरकार यह बताए? सौदे से 12 दिन पहले अनिल अंबानी समूह ने इसके लिए कंपनी बनायी या नहीं?

सिंघवी ने तीसरा सवाल दागते हुए कहा कि फ्रांस की दासौ जैसी कंपनी की मति नहीं मारी गई थी कि वह आफसेट पार्टनर का चुनाव करते समय मुकेश अंबानी, टाटा, बिड़ला जैसे दिग्गजों की बजाय करीब 40 हजार के कर्ज में डूबी एक कंपनी को अपना साझीदार बनाये। उन्होंने कहा कि सरकार बताये कि उसके कहने पर ही फ्रांसीसी कंपनी ने अनिल अंबानी की कंपनी को कांट्रेक्ट का हिस्सेदार बनाया। पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा से पहले सौदे की जानकारी केवल पीएम और अंबानी को होने के सवाल को भी प्रवक्ता ने दोहराया।

सिंघवी ने कहा कि तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद की भारत यात्रा के दौरान 24 जनवरी 2016 को उनकी महिला मित्र जुली गेयेट और अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस इंटरटेनमेंट के बीच एक फिल्म बनाने को लेकर समझौता हुआ। इसके दो दिन बाद ही राफेल का सौदा होता है और तथ्यों से साफ है कि इतने सारे संयोग एक साथ नहीं हो सकते बल्कि यह हितों के टकराव का तार साफ जुड़ा है।

पेट्रोल डीजल की कीमतों को लेकर भी सिंघवी ने सरकार पर तीखे वार करते हुए कहा कि टैक्स का बोझ कम नहीं करना साफ तौर पर जनता का शोषण है। पेट्रोल के 80 रुपये और डीजल के 70 रुपये प्रति लीटर पार करने के बाद भी टैक्स घटाने से सरकार का इनकार साफ दर्शाता है कि उसे आम आदमी, किसानों और स्कूटर-मोटर साइकिल चलाने वाले करोड़ों लोगों की कोई परवाह नहीं।


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