Move to Jagran APP

कांग्रेस को माया-अखिलेश के समर्थन से 2019 के लिए विपक्षी गठबंधन की तस्वीर साफ

राहुल गांधी ने कहा कि 2019 में सत्ता-सियासत की सबसे बड़ी जंग उत्तरप्रदेश में ही होनी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 09:18 PM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 12:39 AM (IST)
कांग्रेस को माया-अखिलेश के समर्थन से 2019 के लिए विपक्षी गठबंधन की तस्वीर साफ
कांग्रेस को माया-अखिलेश के समर्थन से 2019 के लिए विपक्षी गठबंधन की तस्वीर साफ

संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस को तीन बड़े हिन्दी भाषी राज्यों में मिली चुनावी जीत के चौबीस घंटे के भीतर ही 2019 के विपक्षी गठबंधन की तस्वीर लगभग साफ हो गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मध्यप्रदेश व राजस्थान में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के समर्थन का ऐलान कर विपक्षी एकता की तस्वीर अब पूरी तरह से साफ कर दी है। विपक्षी गठबंधन की अगुआई को अब नये उत्साह से ठोस पायदान पर देने की तैयारी कर रही कांग्रेस ने भी स्पष्ट संकेत दिया है कि सपा-बसपा विपक्षी दलों की एकजुटता का अहम हिस्सा होंगी।

loksabha election banner

अब कांग्रेस विपक्षी एकता को आगे बढ़ाने की थामेगी कमान

कांग्रेस के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार तीनों राज्यों में सरकार का गठन होने के बाद पीएम मोदी की भाजपा-एनडीए को 2019 के चुनाव में चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों की बैठक होगी। लोकसभा के फाइनल के लिए यह विपक्षी दलों की सबसे अहम बैठक होगी क्योंकि इसमें गठबंधन के राष्ट्रीय स्वरुप के साथ-साथ राज्यों के स्तर पर पार्टियों के बीच सीटों के तालमेल पर चर्चा की शुरूआत होगी।

तीन बड़े हिन्दी भाषी सूबों में जीत से बदली सियासत

मध्यप्रदेश में माया और अखिलेश के समर्थन देने के खुद ऐलान करने को कांग्रेस गठबंधन को लेकर दोनों के सकारात्मक रुख का स्पष्ट संकेत मान रही। पार्टी के रणनीतिकार ने कहा भी कि चुनाव नतीजे आने से पहले 21 पार्टियों की बैठक में चंद्रबाबू नायडू के प्रयासों के बावजूद बसपा और सपा इसमें शामिल नहीं हुई थीं। इसीलिए विपक्षी एकजुटता में इनकी भूमिका को लेकर संशय के सवाल उठाए जा रहे थे।

मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ में कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद अब इसमें संदेह नहीं रह गया कि 2019 के संग्राम में विपक्षी एकता की मुख्य धूरी कांग्रेस ही होगी तो इन दोनों दलों के लिए भी ज्यादा विकल्प नहीं है। सपा की राजनीति का मुख्य आधार भाजपा का विरोध है तो बसपा प्रमुख ने भी बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में साफ कह दिया कि भाजपा के खिलाफ वह मध्यप्रदेश व राजस्थान में कांग्रेस को समर्थन दे रही हैं।

राहुल गांधी ने भी चुनावी जीत के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए मंगलवार को साफ कहा था कि सपा-बसपा भाजपा के खिलाफ हैं। उनकी विचाराधारा कांग्रेस से मेल खाती है और पक्के तौर पर विपक्षी दल साथ आएंगे। भाजपा के मजबूत आधार वाले तीन बड़े राज्यों में जीत के बावजूद 2019 में सत्ता-सियासत की सबसे बड़ी जंग उत्तरप्रदेश में ही होनी है।

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों का मानना है कि पीएम मोदी की सत्ता की राह रोकने की असली कुंजी उत्तरप्रदेश में सपा-बसपा और कांग्रेस का महागठबंधन होगा। इस महागठबंधन की स्थिति में उत्तरप्रदेश की 80 में से 73 सीटें जीतने वाली भाजपा को बड़ा नुकसान लगभग तय है। जबकि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ की 65 लोकसभा सीटों में पिछली बार 62 सीटें जीतने वाली भाजपा को ताजा चुनाव नतीजे के हिसाब से करीब 40 सीटों के नुकसान का अनुमान है।

विपक्षी दलों के साथ समन्वय से जुड़े कांग्रेस के एक रणनीतिकार के अनुसार दक्षिण में भाजपा के एकमात्र दुर्ग कर्नाटक में भी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के कारण भाजपा के लिए 28 लोकसभा सीटों में दहाई का आंकड़ा छूना मुश्किल होगा।

महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन पिछली बार से बेहतर करेगा। तो शिवसेना की नाराजगी की सिरदर्दी भाजपा को परेशान करेगी।

बिहार में भी कांग्रेस-राजद के गठबंधन में एनडीए से अलग हुए रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा का आना लगभग तय है। इस लिहाज से कांग्रेस 2019 की लड़ाई में विपक्षी एकता को सबसे अहम मान इसे सिरे चढ़ाने में ज्यादा देरी नहीं दिखाएगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा भी है कि खुद राहुल गांधी ने मंगलवार को साफ कर दिया कि विपक्षी दलों का साथ आना पक्का है तो फिर विपक्षी एकजुटता में संदेह की गुंजाइश ही कहां बचती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.