कांग्रेस ने अमित शाह पर लगाया चुनावी हलफनामे में जानकारी छिपाने का आरोप
कांग्रेस ने अमित शाह पर चुनाव शपथ पत्र में देनदारी की जानकारी छुपाने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करने का ऐलान किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर चुनाव शपथ पत्र में देनदारी की जानकारी छुपाने का आरोप लगाते हुए इस मामले की शिकायत चुनाव आयोग से करने का ऐलान किया है। पार्टी ने दावा किया किया है कि अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी ने उनकी जमीन पर बैंक से कर्ज लिया और उन्होंने चुनाव आयोग में गलत हलफनामा दिया कि उन पर किसी तरह की देनदारी नहीं है।
जयराम रमेश ने किया दावा शाह ने शपथ पत्र में देनदारी की बात छुपाई
भाजपा अध्यक्ष के शपथ पत्र के बहाने कांग्रेस ने उनके पुत्र के कारोबारी तरीके पर भी सवाल उठाने का दांव चला। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने प्रेस कांफ्रेंस कर राज्यसभा चुनाव में अमित शाह के दिये हलफनामे को अधूरा करार देते हुए कहा कि उनके बेटे ने बैंकों से जो कर्ज उनकी जमीन की एवज में लिया है उस बारे में शपथ पत्र में गलत जानकारी दी गई है। जयराम ने कहा कि शपथपत्र में शाह ने किसी तरह की देनदारी नहीं होने की बात कही है जो गलत है क्योंकि उनकी अहमदाबाद की एक व्यावसायिक इमारत और जमीन के दो प्लाटों पर उनके बेटे जय अमित शाह ने बैंक से कर्ज लिया है। उनके मुताबिक इस गलत हलफनामे की कांग्रेस चुनाव आयोग से शिकायत कर कार्रवाई की मांग करेगी।
जयराम ने कहा कि जय शाह की कंपनी कुसुम फिन सर्विस जो सीमित भागीदारी वाली कंपनी है और जिसका कारोबार करीब छह करोड रुपये है उसे कुछ बैकों ने 95 करोड उधार देने की सुविधा दी है। इस कंपनी ने बैंकों से उधार के लिए जिन प्लाटों को गिरवी रखा है उसके मालिक अमित शाह हैं और साफ है कि उन पर देनदारी है। जयराम ने हलफनामे के अलावा कुसम फिन सर्विस के कारोबार पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि मई 2017 में इस कंपनी को गुजरात इंडस्टि्रयल डेवलपमेंट कारपोरेशन की आरे से 6 करोड रुपये मूल्य का साणंद में प्लाट दिया गया और एक महीने के भीतर ही कुसम फिन सर्विस ने इस पर बैंकों से 17 करोड का कर्ज ले लिया।
चुनाव आयोग से शिकायत कर कार्रवाई की मांग करेगी पार्टी
कांग्रेस नेता ने सवाल पूछा कि यह कैसे और क्यों हुआ जब कंपनी किसी तरह के निर्माण से नहीं जुड़ी बल्कि वित्तीय कारोबार करती है। उन्होंने कुसम फिन सर्विस का 2016-17 का सालाना रिटर्न अभी तक दाखिल नहीं होने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि रिटर्न दाखिल करना कानूनी अनिवार्यता है मगर इस देरी के लिए कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। उर्जा मंत्रालय की एक एजेंसी के इस कंपनी को 10.50 करोड रुपये रतलाम में वायु उर्जा संयत्र लगाने के लिए देने पर भी प्रश्न उठाते हुए जयराम ने कहा कि यह नियम विरूद्ध है क्योंकि एक कंपनी या व्यक्ति को एजेंसी 5 करोड से ज्यादा नहीं दे सकती।