कारपोरेट घरानों को बैंक चलाने का लाइसेंस देने के विरोध में उतरी कांग्रेस, राजनीतिक दलों और ट्रेड यूनियन से की अपील
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अनुसार सरकार इससे बैंकों में जमा आम आदमी के पैसे को पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है। पी चिदंबरम और रणदीप सुरजेवाला ने रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के आधार पर कारपोरेट घरानों को बैंकिंग लाइसेंस देने को गहरे गेम प्लान का हिस्सा करार दिया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस ने औद्योगिक घरानों-पूंजीपतियों को बैंक चलाने का लाइसेंस देने के सरकार के प्रस्ताव का जबरदस्त विरोध करने का एलान किया है। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के कारपोरेट घरानों को बैंकिंग लाइसेंस देने का विरोध किए जाने को सही ठहराते हुए पार्टी ने कहा कि इस कदम के जरिये सरकार बैकिंग व्यवस्था को मुठ्ठी भर धन्नासेठों के हाथों में सौंपना चाहती है। राजनीतिक दलों और ट्रेड यूनियन संगठनों से इस विरोध में शामिल होने की कांग्रेस ने खुली अपील भी की है।
चिदंबरम ने कहा, राजनीतिक-आर्थिक व्यवस्था चंद घरानों के हाथ चली जाएगी
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अनुसार सरकार इस कदम के जरिये बैंकों में जमा आम आदमी के पैसे को पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है। पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम और कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में रिजर्व बैंक की एक आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर कारपोरेट घरानों को बैंकिंग लाइसेंस देने की तैयारी को सरकार के गहरे गेम प्लान का हिस्सा करार दिया।
उनके मुताबिक आरबीआई की इस रिपोर्ट पर मोदी सरकार की पूरी छाप है जिसका मकसद राजनीतिक निकटता वाले औद्योगिक घरानों को बैंक लाइसेंस देना है। इसीलिए कांग्रेस रघुराम राजन और आचार्य के बयान का समर्थन करते हुए सरकार के प्रस्तावों की कड़ी निंदा करती है। चिदंबरम ने कहा कि बैंकों में जनता की गाढी कमाई का 140 लाख करोड रुपये जमा है। चंद उद्योगपतियों-घरानों को बैंक लाइसेंस देकर सरकार जनता के इस पैसे का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का उन्हें मौका देना चाहती है। इसका भयंकर दुष्परिणाम होगा कि देश की राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था मुठठी भर लोगों के हाथों में सिमट कर रह जाएगी।
राहुल ने कहा आम आदमी के पैसे को किया जा रहा पूंजीपतियों के हवाले
इससे पूर्व राहुल गांधी ने ट्वीट में ऐसी आशंका जाहिर करते हुए कहा 'क्रोनोलॉजी समझिए, पहले कुछ बड़ी कंपनियों की कर्ज माफी, इसके बाद कंपनियों को बड़ी टैक्स छूट और अब जनता की बचत जमा पूंजी को इन कंपनियों द्वारा खोले जाने वाले बैंकों के हवाला कर दिया जाना। सूट बूट की सरकार।' चिदंबरम ने कहा कि पूरी दुनिया में बैंकिंग व्यवस्था तीन स्तंभों से संचालित होती है। पहली ज्यादा से ज्यादा लोग बैंक के मालिक हांे, दूसरे बैंक की मिलकियत और संचालन अनिवार्य रुप से अलग-अलग हों। तीसरा बैंक से कर्ज लेने और देने वाले का आपसी कोई जुड़ाव न हो। कारपोरेट घरानों को लाइसेंस देना इन तीनों बुनियादी नियमों के खिलाफ है।
चिदंबरम ने कहा कि इसका दूरगामी परिणाम यह भी होगा कि सरकारी बैंक कमजोर होंगे और कारपोरेट घरानों के निजी बैंक धीरे-धीरे उन पर कब्जा कर लेंगे। ऐसा हुआ तो बैंकिंग व्यवस्था से किसानों और गरीबों की पहुंच खत्म हो जाएगी। चिदंबरम ने सरकार से मांग की कि वह इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने का स्पष्ट ऐलान करे। दिलचस्प यह भी है कि कांग्रेस में मौजूदा घमासान की शुरूआत करने वाले वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी इस मुद्दे पर पार्टी के रुख का समर्थन करते हुए भाजपा को कठघरे में खड़ा किया। सिब्बल ने कहा कि बड़े कारपोरेट घरानों ने भाजपा को भारी चंदा दिया और उन्हें बैंक बनाने की इजाजत देकर अब देश की जनता से उनकी फंडिंग करायी जाएगी।