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गांधी पर मोदी के प्रभाव से कांग्रेस को डर, पटेल पर पिछड़ने के बाद गांधी की विरासत पर चौकन्ना

कांग्रेस को यह आशंका सताने लगी है कि सरदार पटेल के बाद बापू को भी भाजपा अपनी सियासी विरासत का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रही है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 09:45 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 09:45 PM (IST)
गांधी पर मोदी के प्रभाव से कांग्रेस को डर, पटेल पर पिछड़ने के बाद गांधी की विरासत पर चौकन्ना
गांधी पर मोदी के प्रभाव से कांग्रेस को डर, पटेल पर पिछड़ने के बाद गांधी की विरासत पर चौकन्ना

नई दिल्ली, संजय मिश्र। देश भर में मनाए जा रहे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष समारोह के बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बापू की विरासत को लेकर प्रतिस्पर्धा की सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस को यह आशंका सताने लगी है कि सरदार पटेल के बाद बापू को भी भाजपा अपनी सियासी विरासत का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रही है। इस आशंका से ही चौकन्ना हुई कांग्रेस सरकार के समारोहों से इतर पूरे साल देश भर में बापू की स्मृतियों से जुड़े कार्यक्रमों की श्रृंखला चलाएगी। सोनिया और राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के शीर्ष दिग्गजों ने गांधी जयंती के मौके पर देश भर में पदयात्रा निकाल इसकी शुरूआत की।

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पदयात्रा से शुरू हुए इस सिलसिले को जारी रखते हुए पार्टी अब गांधी और कांग्रेस के ऐतिहासिक जुड़ावों की स्मृतियों को ताजा करने से संबंधित कार्यक्रम भी करेगी। ताकि कांग्रेस और गांधीजी के रिश्तों की विरासत की स्मृतियां धूमिल न पड़ जाएं। दरअसल कांग्रेस की चिंता है कि भाजपा जिस तरह आयोजनों को बड़े आकार देकर उनका प्रचार करती है उसमें पुराने इतिहास के भी पीछे छूटने का अंदेशा रहता है।

पटेल की विरासत को छीनने में कोई कसर नहीं छोड़ी

सोनिया और राहुल गांधी के साथ पदयात्रा में शामिल कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि सरदार पटेल इसके उदाहरण बन रहे हैं जिन्हें भाजपा व पीएम मोदी अपना 'आयकन' बनाकर पेश करते हैं। साथ ही इनका प्रचार तंत्र इतना प्रभावी है कि दूसरी धारा का विमर्श जनता तक पहुंच नहीं पा रहा। बीते पांच साल के दौरान सरदार पटेल की गुजरात में दुनिया की सबसे उंची लौह प्रतिमा बनाने से लेकर उनके प्रधानमंत्री नहीं बन पाने के विवादों को उछाल भाजपा ने पटेल की विरासत को कांग्रेस से छीनने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उनका यह भी कहना था कि इसीलिए सोनिया गांधी के दुबारा अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों और प्रदेश के नेताओं के साथ हुई बैठक में गांधीजी की विरासत पर प्रभाव जमाने की भाजपा की कोशिशों को थामने के लिए पूरे साल देश भर में कांग्रेस की ओर से कार्यक्रम मजबूती से चलाने का फैसला हुआ था।

साफ दिख रही कांग्रेस की बेचैनी

वैसे पटेल की विरासत की होड़ में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ही कांग्रेस ने पिछले साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंत के मौके पर वर्धा आश्रम में कार्यसमिति की विशेष बैठक की थी। सोनिया गांधी ने मंगलवार को गांधीजी की स्मृति में पार्टी की पदयात्रा के बाद अपने संबोधन में जिस तरह पीएम मोदी पर परोक्ष निशाना साधा वह कांग्रेस की इसको लेकर बेचैनी को दर्शाता है। सोनिया ने कहा कि खुद को सर्वेसवा मानने वाले लोग गांधी के आदर्शो का कैसे समझ सकते हैं। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दलों को गांधीजी और उनके विचारों के महत्व का अहसास हुआ। वैसे देर से इसका अहसास होने के बाद भी इसका स्वागत है और इसकी आलोचना नहीं की जानी चाहिए। वेणुगोपाल ने सवाल दागते हुए यह भी कहा कि गांधी के विचारों को लेकर जगा यह भाव वास्तविक है या महज सियासी।


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