Move to Jagran APP

कांग्रेस में बदलाव को लेकर अभी नरम नहीं पड़े हैं सिब्बल के तेवर, बताया- सिद्धांत की लड़ाई

सिब्बल का ट्वीट बहुत कुछ कहता है और इसका संकेत भी देता है कि असहमति को विरोध और विरोध को विद्रोह की स्थिति में बदलने में बहुत वक्त नहीं लगता है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 07:04 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 08:22 AM (IST)
कांग्रेस में बदलाव को लेकर अभी नरम नहीं पड़े हैं सिब्बल के तेवर, बताया- सिद्धांत की लड़ाई
कांग्रेस में बदलाव को लेकर अभी नरम नहीं पड़े हैं सिब्बल के तेवर, बताया- सिद्धांत की लड़ाई

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस में असहमति के दौर के बाद अब चुनौती की भी स्थिति दिखने लगी है। बुधवार को तेज तर्रार और बेबाक नेता कपिल सिब्बल ने बिना किसी संदर्भ के ट्वीट किया और कहा, 'सिद्धांत के लिए लड़ाई में विरोध स्वत: आता है जबकि समर्थन जुटाया जाता है।' कांग्रेस के अंदर चल रहे कामकाज के तौर तरीके के विरोध में 23 नेताओं की चिट्ठी के बाद इस ट्वीट को बड़ा जवाबी हमला माना जा सकता है।

loksabha election banner

दरअसल, सोमवार को जिस तरह कांग्रेस के युवा और कई पुराने नेताओं ने एकजुट होकर चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को कठघरे में खड़ा किया था, इस ट्वीट को उसका जवाब माना जा रहा है। सिब्बल ने परोक्ष रूप से यह जताने की कोशिश की कि कांग्रेस के अंदर बड़ी संख्या में लोग हैं जो चिट्ठी में उठाए गए मुद्दे के साथ हैं। प्रबंधन के जरिए भले ही उसे खारिज कर दिया जाए, लेकिन मुद्दा खत्म नहीं हुआ है। हंगामेदार कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दो दिन बाद पार्टी में चुप्पी है। बड़े छोटे सभी नेताओं ने मुंह बंद कर लिया। लेकिन सिब्बल का ट्वीट जताता है कि अंदर उबाल है और यह तभी खत्म होगा जब सुधार होंगे। उन्होंने 'सिद्धांत की लड़ाई में, जिंदगी हो या राजनीति या कानून का क्षेत्र, विरोध स्वत: होता है, जबकि समर्थन प्राय: प्रबंधन के जरिए जुटाया जाता है।'

ध्यान रहे कि एक दिन पहले ही सिब्‍बल ने कहा था- मुझे किसी पद की लालसा नहीं है। एक दिन पहले तक आनंद शर्मा, विवेक तन्खा जैसे चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले कई अन्य कांग्रेस नेता भी सोशल मीडिया पर सक्रिय थे। एक दूसरे की बातों का समर्थन भी कर रहे थे। लेकिन बुधवार को सब चुप थे केवल सिब्बल ने अपने मन की बातों का इजहार किया। सूत्रों का कहना है कि चुप्पी के बावजूद कांग्रेस के दिग्गज नेता जो पार्टी का चेहरा भी हैं अंदरूनी तौर पर तालमेल में हैं। पार्टी की ओर से अगले छह महीने के अंदर बदलाव की बात कही गई है। फुलटाइम अध्यक्ष चुने जाने का आश्वासन दिया गया है। बहुत जल्द रोजमर्रा के कामकाज के लिए समिति के गठन की भी बात हुई है। इन सब बातों का इंतजार है। फैसला नेतृत्व को लेना है कि कितना सकारात्मक बदलाव होता है। पार्टी को एकजुट रखने के लिए क्या कदम उठते हैं और संयुक्त निर्णय से सही दिशा चुना जाता है या नहीं।

सिब्बल का ट्वीट बहुत कुछ कहता है और इसका संकेत भी देता है कि असहमति को विरोध और विरोध को विद्रोह की स्थिति में बदलने में बहुत वक्त नहीं लगता है। वैसे भी मध्य प्रदेश और उसके बाद राजस्थान में यह दिख चुका है। चिट्ठी में भी इन्हीं बातों को इंगित करते हुए सुधार की बात की गई थी, लेकिन गांधी परिवार के नाम की छाया में एकजुट नेताओं ने 23 नेताओं की आवाज को दबा दिया था।

ये भी पढ़ेंः Delhi: सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी पर घमासान जारी, अब धीरे-धीरे मुखर हो रहे पुराने कांग्रेसी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.