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पुडुचेरी में नौकरशाही के कामकाज को लेकर भ्रम की स्थिति : उपराज्यपाल

किरण बेदी की याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 08:27 PM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 08:27 PM (IST)
पुडुचेरी में नौकरशाही के कामकाज को लेकर भ्रम की स्थिति : उपराज्यपाल
पुडुचेरी में नौकरशाही के कामकाज को लेकर भ्रम की स्थिति : उपराज्यपाल

नई दिल्ली, प्रेट्र। पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में प्रशासनिक नियंत्रण के मसले पर मद्रास हाई कोर्ट के आदेश की वजह से नौकरशाही में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। उपराज्यपाल ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष कोर्ट में याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पुडुचेरी के उपराज्यपाल 'केंद्र शासित प्रदेश की निर्वाचित सरकार के रोजमर्रा के कामों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते।'

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मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई की जाएगी। इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही बेदी के वकील ने पीठ से कहा, 'मद्रास हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद से केंद्र शासित प्रदेश में नौकरशाही के कामकाज को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।'

शीर्ष कोर्ट ने केंद्र और किरण बेदी की याचिकाओं पर 10 मई को कांग्रेस के विधायक के. लक्ष्मीनारायणन से जवाब मांगा था। लक्ष्मीनारायणन की याचिका पर ही हाई कोर्ट ने 30 अप्रैल को फैसला सुनाया था। लक्ष्मीनारायणन ने अपनी याचिका में दावा किया था कि प्रशासक केंद्र शासित प्रदेश की सरकार के रोजमर्रा के प्रशासन, उसकी नीतियों और कार्यक्रमों में हस्तक्षेप कर रही हैं। केंद्र की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि इसकी वजह से शासकीय कार्य ठहर गया है।

हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के जनवरी और जून, 2017 के पत्रों को निरस्त कर दिया था। इन पत्रों में ही प्रशासक के अधिकारों को 'बढ़ा दिया' गया था। हाई कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच गतिरोध के मामले में शीर्ष कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा था कि दिल्ली सरकार पर लगाई गई कुछ पाबंदियां पुडुचेरी की सरकार पर लागू नहीं होती हैं। हाई कोर्ट ने कहा था, 'प्रशासक सरकार के रोजमर्रा के कामों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए फैसले सचिवों और अन्य अधिकारियों पर बाध्यकारी हैं।'

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