कमजोर देशों का समर्थन करने पर राष्ट्रमंडल महासचिव ने की प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत का विकास साझेदार का सिद्धांत स्वामी विवेकानंद से प्रेरित है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। कमजोर देशों का समर्थन करने पर राष्ट्रमंडल महासचिव पैट्रीसिया स्कॉटलैंड ने भारत के नेतृत्व की सराहना की है। उन्होंने इसे सभी सदस्य देशों के लिए एक आशा का क्षेत्र भी बताया। भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी निधि की तीसरी वर्षगांठ पर सोमवार को एक आभासी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी निधि को लेकर महासचिव ने की मोदी की सराहना
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महासचिव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस फंड की स्थापना किए जाने की सराहना की। उन्होंने राष्ट्रमंडल राज्यों को और अवसर प्रदान करने के लिए और उन्हें समर्थन देने के लिए आशा और सहयोग की प्रशंसा की।
महासचिव ने कहा- भारत का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम स्वागत योग्य है
बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'दुनिया के विकासशील देशों के 34 छोटे द्वीप और बेहद कम विकसित देश राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं। इस फंड के माध्यम से उन्हें समर्थन देने का भारत का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम स्वागत योग्य और जरूरी कदम है।' उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र-भारत कोष को सन्निहित साझेदारी और समर्थन की भावना की अब पहले से ज्यादा जरूरत है। इसीलिए मेरा विश्वास है कि दुनिया में भारत की बढ़ती नेतृत्व भूमिका हम सभी के लिए आशा का क्षेत्र है।
भारत सरकार का 10 करोड़ डॉलर का योगदान
बता दें कि इस संयुक्त कोष की स्थापना 2017 में की गई थी। इसका मकसद विकासशील देशों के नेतृत्व वाली सतत विकास परियोजनाओं को सहायता प्रदान करना है। इसमें भारत सरकार ने 10 करोड़ डॉलर का योगदान दिया है, जो कई वर्षो में दिया जाएगा। इसके अलावा पांच करोड़ डॉलर का एक और फंड राष्ट्रमंडल के सदस्य देशों, विशेष रूप से छोटे द्वीप और कम विकसित देशों के लिए कॉमनवेल्थ विंडो के रूप में बनाया गया है।
विकासपरक योजनाओं को तरजीह देता है भारत
इसी कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि जब अन्य कोरोना महामारी का फायदा उठाकर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे थे तब भारत जरूरतमंद देशों को चिकित्सा सामानों की आपूर्ति कर रहा था। उन्होंने कहा कि भारत विकासपरक योजनाओं को तरजीह देता है तो इसके लिए अपने साथी देशों पर किसी तरह का दबाव भी नहीं डालता है। उन्होंने कहा कि भारत का विकास साझेदार का सिद्धांत स्वामी विवेकानंद से प्रेरित है।