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दरकिनार करिये सियासत को, अनुच्छेद 370 से निजात चाहता है आम कश्मीरी

कश्मीर विश्वविद्यालय में पॉलिटिकल साइंस के एक छात्र ने कहा अनुच्छेद 370 सिर्फ एक सियासी नारे और कश्मीरियों की भावनाओं के शोषण के लिए रह गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 10:09 PM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 01:11 AM (IST)
दरकिनार करिये सियासत को, अनुच्छेद 370 से निजात चाहता है आम कश्मीरी
दरकिनार करिये सियासत को, अनुच्छेद 370 से निजात चाहता है आम कश्मीरी

नवीन नवाज, श्रीनगर। अनुच्छेद 370 कहां है? यह नजर आए तो बताना। इसने न मुझे हिंदुस्तान का होने दिया और न हिंदुस्तान को मेरा। यह मेरी पहचान नहीं है, यह मेरी पहचान की सियासत है। इसलिए बेहतर है कि इससे निजात मिल जाए..। यह उन आम कश्मीरियों के जज्बात हैं, जो सियासत, अलगाववाद और आतंकवाद के बीच खुद को पूरी तरह असहाय और असुरक्षित मानते हैं। तमाम शोर शराबे के बीच ये अपनी बात दुनिया तक पहुंचाना चाहते हैं, लेकिन एक अंजाने डर से चुप हैं।

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भावनाओं का शोषण 
कश्मीर विश्वविद्यालय में पॉलिटिकल साइंस के एक छात्र ने कहा, अनुच्छेद 370 सिर्फ एक सियासी नारे और कश्मीरियों की भावनाओं के शोषण के लिए रह गया है। केंद्र सरकार जब चाहे यहां अपनी इच्छानुसार केंद्रीय कानून लागू कर लेती है। बस यह वह सीधे तौर पर नहीं करती, वह उन्हीं राजनीतिक दलों से यह काम कराती है, जो अनुच्छेद 370 की हिफाजत का दम भरते हैं।

बंगाल की बात करें तो वहां 370 नहीं होने के कारण क्या बंगालियों की पहचान खत्म हो गई है। क्या ममता बनर्जी की मर्जी के बिना वहां अमित शाह की रैली हो सकती है, नहीं। फिर कश्मीरी सियासतदां क्यों चाहता है कि यह धारा बनी रहे। सिर्फ इसलिए कि वह इसके नाम पर नई दिल्ली को ब्लैकमेल करते हुए अपनी सियासत चलाए, जो कहीं न कहीं यहां अलगाववाद की पोषक बन जाती है। बेहतर है कि कश्मीरियों की पहचान व अधिकार सुनिश्चित करते हुए इसे हटाया जाए।

संशोधन क्यों नहीं 
पेशे से अध्यापक शब्बीर कुमार की भी यही राय है। वे अनुच्छेद 370 को कहीं न कहीं कश्मीर समस्या का एक कारण मानते हैं। कहते हैं, सभी पक्षों के हितों को यकीनी बनाते हुए अगर इसे समाप्त किया जाता है तो शायद ही गिनती के कुछ लोगों के अलावा कोई और इसका विरोध करे।

तो खत्म हो जाएगी दलों की सियासत 
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ मुख्तार अहमद बाबा ने कहा कि जम्मू और लद्दाख में इसके (370) खिलाफ स्पष्ट आवाजें हैं। इसे कश्मीरियों की पहचान के साथ जोड़ दिया गया है। इसे हटाया जाता है तो कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी जैसे दलों की सियासत खत्म हो जाएगी। यहां एक वर्ग है जिसका पाकिस्तान की तरफ झुकाव है, लेकिन एक बड़ा वर्ग हिंदुस्तान की तरफ भी होगा।

इस मुद्दे पर बहस चाहता है कश्मीरी 
आतंकियों का गढ़ कहलाने वाले त्राल निवासी अल्ताफ अहमद ठाकुर जोकि प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता भी हैं, ने कहा कि आज कश्मीरियों का एक बड़ा वर्ग इस मुद्दे पर बहस चाहता है। बहस होगी तो पता चलेगा कि इसने (370) दिया क्या और कश्मीरियों से लिया क्या?

कब का निकल चुका 370 का जनाजा 
बड़गाम निवासी डॉ. अली ने कहा कि आप ही बताओ कि यहां 370 है कहां। इसका जनाजा तो कब का निकल चुका है। यह खाली ताबूत है। यह सारा सच आम कश्मीरी जानता है।


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