प्रमोद सावंत बोले- गोवा में NRC की कतई जरूरत नहीं हो सकती, CAA से डरने की जरूरत नहीं
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा है कि राज्य में एनआरसी की कतई जरूरत नहीं हो सकती।उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब NRC और caa के खिलाफ देश में विरोध देखने को मिल रहा है।
पणजी, आइएएनएस। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर देशव्यापी विरोध के बीच गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा है कि राज्य में एनआरसी की कतई जरूरत नहीं हो सकती।
उत्तर गोवा जिले में एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बातचीत में सावंत ने गोवा के लोगों से कहा कि सीएए से उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब एनआरसी और सीएए के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध देखने को मिल रहा है। प्रमोद सावंत ने लोगों से एनआरसी के बारे में गलत सूचना न फैलाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा एनआरसी को लेकर गलत सूचना न फैलाई जाए। केंद्र सरकार ने अभी तक इसे लेकर कोई अधिसूचना जारी नहीं की है।
कांग्रेस ने मांगा जवाब
कांग्रेस ने भाजपा-नीत सरकार पर पुर्तगाली पासपोर्ट धारक हजारों गोवा वासियों का भविष्य अधर में लटकाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने सावंत और भाजपा पर यह जवाब देने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि वे कैसे हजारों गोवा पुर्तगाली पासपोर्ट धारकों और उनके परिजनों के हितों की रक्षा करेंगे।
एनआरसी की कतई जरूरत नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुर्तगाली पासपोर्ट धारक अगर अपनी नागरिकता भारतीय नागरिकता में बदलना चाहते हैं तो इसके लिए वर्तमान में ही एक प्रक्रिया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या गोवा में एनआरसी लागू किया जाएगा, इस पर उन्होंने कहा कि इसकी कतई जरूरत नहीं हो सकती। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर उन्होंने किसी सवाल का जवाब देने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर गजट अधिसूचना पढ़ने के बाद ही एक बयान देंगे।
सावंत की टिप्पणी पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
एनआरसी पर सावंत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, गोवा कांग्रेस के प्रवक्ता ट्रेजानो डी' मेलो ने कहा कि सीएम का यह बयान बताता है कि एनआरसी केवल मुसलमानों को ही नहीं बल्कि देश के हर नागरिक को नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने आगे कहा कि विरोध प्रदर्शनों के बीच झारखंड के परिणाम स्पष्ट संकेत हैं कि ध्रुवीकरण रणनीति को मुख्य समुदाय द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा है।
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें