चंद्रबाबू नायडू आज पीएम मोदी से बातचीत के बाद गठबंधन रखने पर करेंगे फैसला
टीडीपी कोटे के दोनों कैबिनेट मंत्री यानी अशोक गजपति राजू (केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री) और वाईएस चौधरी (विज्ञान और तकनीकी राज्य मंत्री) गुरुवार को इस्तीफा दे देंगे।
नई दिल्ली(जेएनएन)। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में बुधवार को मतभेद हो गया है। आंध्र के मुख्यमंत्री और तेलुगु देसम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने मोदी सरकार से अपने दो मंत्रियों को हटा लेने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि केंद्र में टीडीपी कोटे के दोनों कैबिनेट मंत्री यानी अशोक गजपति राजू (केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री) और वाईएस चौधरी (विज्ञान और तकनीकी राज्य मंत्री) गुरुवार को इस्तीफा दे सकते हैं। साथ ही यह भी कहा कि उनकी पार्टी राजग से भी अलग हो सकती है। हालांकि, टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू इस मसले पर गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे। बताया जा रहा है कि पीएम से बात होने के बाद ही नायडू अपने मंत्रियों को फाइनल आदेश देंगे।यानी प्रधानमंत्री से नायडू की बात होने के बाद ही दोनों मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं।
उन्होंने अगले कदमों की घोषणा भी शीघ्र करने की बात की।चंद्रबाबू ने अमरावती में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय बजट में आंध्र की अनदेखी को लेकर मोदी सरकार से नाराजगी जताई। उन्होंने कहा किकेंद्र ने पांच साल पहले आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय कई वादे किए थे, लेकिन एक भी नहीं निभाया गया। यह वादा केंद्र में उस समय की मनमोहन सरकार ने किया था।दरअसल, आंध्र में विशेष राज्य के दर्जे को लेकर राजनीति गहरा गई थी। जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर-कांग्रेस ने केंद्र को पांच अप्रैल तक विशेष राज्य की घोषणा का अल्टीमेटम दे रखा है। ऐसा नहीं होने पर पार्टी के सभी नौ सांसद और विधायक संबद्ध सदनों से इस्तीफा दे देंगे।
इस अल्टीमेटम के बाद राज्य में कौन आगे-कौन पीछे की लड़ाई शुरू हो गई। सत्तारूढ़ टीडीपी को मजबूरी में इस लड़ाई में कूदना पड़ गया। क्योंकि पहले वह विशेष पैकेज की ही मांग कर रही थी। बाद में वाईएसआर-कांग्रेस के रुख को देख उसने भी विशेष राज्य के दर्जे की मांग शुरू कर दी। यही मजबूरी उसके गले की फांस बनकर मोदी मंत्रिमंडल से अलग होने का कारण बन गई।
दो नावों की सवारी
आंध्र को लेकर चंद्रबाबू को दो नावों की सवारी करनी पड़ रही है। एक तरफ वह विशेष राज्य के दर्जे की मांग का समर्थन करते हुए दिखना चाहते हैं, वहीं केंद्र सरकार से संबंध भी नहीं बिगाड़ना चाहते। यही कारण है कि अमरावती में पत्रकारों से बात करने से पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने की कोशिश की थी लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। उन्होंने कहा-लिहाजा, मेरे ओएसडी ने प्रधानमंत्री के ओएसडी को इस फैसले की सूचना दे दी।
यह है नाराजगी
नायडू ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन इसलिए किया गया था, ताकि आंध्र को न्याय मिल सके।लेकिन ऐसा हो न सका। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री नायडू दर्जनों बार दिल्ली में प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मिले। फिर भी उनके अनुरोध पर गौर नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश को अवैज्ञानिक तरीके से बांटा गया था। इससे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चार साल से राज्य के लोग अपने साथ इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन बजट में भी आंध्र को फंड नहीं दिए गए।
विशेष राज्य का दर्जा संभव नहीं
आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा कई कारणों से संभव नहीं है। एक तो 14वें वित्त आयोग ने विशेष राज्य के दर्जे का प्रावधान ही खत्म कर दिया है। दूसरे, इसके लिए नियमों में व्यापक बदलाव करने पड़ेंगे। अगर नियमों में बदलाव कर भी दिया गया तो बिहार, झारखंड जैसे अन्य राज्य भी इसी तरह की मांग शुरू कर देंगे। इसलिए मोदी सरकार टीडीपी की मांग के आगे किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं है। फिलहाल देश में मेघालय, असम, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, उत्तराखंड समेत कुल ग्यारह राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है।