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Citizenship Bill के विरोध में उतरे वैज्ञानिक और विद्वान, प्रताप भानु मेहता और हर्ष मंदर भी शामिल

नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर देश में विरोध जारी है। एक हजार से अधिक वैज्ञानिकों और विद्वानों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 06:04 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 01:13 AM (IST)
Citizenship Bill के विरोध में उतरे वैज्ञानिक और विद्वान, प्रताप भानु मेहता और हर्ष मंदर भी शामिल
Citizenship Bill के विरोध में उतरे वैज्ञानिक और विद्वान, प्रताप भानु मेहता और हर्ष मंदर भी शामिल

नई दिल्ली, पीटीआइ। नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर देश में विरोध जारी है। एक हजार से अधिक वैज्ञानिकों और विद्वानों ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें कहा गया है कि नागरिकता संशोधन विधेयक को वापस ले लिया जाना चाहिए। प्रसिद्ध शिक्षाविद प्रताप भानु मेहता और हर्ष मंदर ने भी इसका विरोध किया है।प्रताप भानु मेहता ने कहा कि कानून भारत को असंवैधानिक जातीय लोकतंत्र में बदल देगा।

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वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने कहा कि प्रस्तावित बिल में नागरिकता के लिए एक मानदंड के रूप में धर्म का उपयोग एक कट्टरपंथ की तरह होगा और संविधान की मूल संरचना के साथ असंगत होगा। बता दें कि सात घंटे से अधिक समय तक चली बहस के बाद लोकसभा में सोमवार आधी रात को यह विधेयक को पारित हो गया। यह विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न सामना करके आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने को लेकर है।

मैं आधिकारिक तौर पर एक मुस्लिम के रूप में पंजीकृत करा लूंगा- हर्ष मंदर

निचले सदन में कानून पारित होने के बाद, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने कहा कि यदि विधेयक पारित हो जाता है, तो वह  नागरिक अवज्ञा आन्दोलन (civil disobedience) शुरू कर देंगे। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मैं आधिकारिक तौर पर एक मुस्लिम के रूप में पंजीकृत करा लूंगा। मैं एनआरसी को कोई भी दस्तावेज जमा करने से मना कर दूंगा। मैं मांग करूंगा कि मुझे वही सजा दी जाए जो बिना दस्तावेज वाले मुस्लिमों को मिलेगी इस नागरिक अवज्ञा में शामिल हों।'

संवैधानिक लोकतंत्र को असंवैधानिक जातीय लोकतंत्र में बदल देगा- प्रताप भानु मेहता 

याचिका के हस्ताक्षरकर्ता प्रताप भानु मेहता ने कहा कि नागरिकता विधेयक एक संवैधानिक लोकतंत्र को असंवैधानिक जातीय लोकतंत्र में बदल देगा। उन्होंने ट्वीट करके कहा 'हम हमेशा के लिए अतीत पर बहस कर सकते हैं। लेकिन नागरिकता विधेयक के साथ भारत एक संवैधानिक लोकतंत्र को आधिकारिक तौर पर एक असंवैधानिक लोकतंत्र में बदलने के लिए एक विशाल कदम उठा लेगा।

याचिकाकर्ताओं में शामिल लोग

याचिकाकर्ताओं में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, मासाचुसेट्स यूनिवर्सिटी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी, चेन्नई मैथमैटिकल इंस्टीट्यूट, इंटरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल साइंस, टाटा इंस्टीट्यूट फॉर फंडामेंटल रिसर्च से जुड़े लोग शामिल हैं। 


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