Citizenship Act Protest: असम में हिंसा थमी, मगर आज से पूरे प्रदेश में चलेगा सत्याग्रह आंदोलन
उल्फा के अनूप चेतिया ने कहा है कि हम सभी का दायित्व है कि इस आंदोलन को किसी मुकाम पर पहुंचाया जाए।t
संजय मिश्र, गुवाहाटी। असम में नागरिकता संशोधन कानून के विरोधी हिंसा का दौर लगभग थम गया है मगर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन आंदोलन तेज होता जा रहा है। शांतिपूर्ण आंदोलन के बाद सोमवार को पूरे प्रदेश में सत्याग्रह के अंदाज में तीन दिनों तक विरोध प्रदर्शन चलेगा। इस कानून से असम के भूमि पुत्रों को किसी तरह का खतरा नहीं होने का केंद्र व राज्य सरकार का आश्वासन किसी भी सूरत में यहां के लोग भरोसा करने को तैयार नहीं है।
स्थानीय संगठन आंदोलन को आगे बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं
आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए सूबे के कई स्थानीय सामाजिक व राजनीतिक संगठन एक समन्वय समिति के जरिए संगठित तौर पर चलाने की कोशिश कर रहे हैं। गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता अखिल गोगोई के संगठन कृषक मुक्ति संग्राम संगठन, वामपंथी दलों का मोर्चा, उल्फा के अनूप चेतिया का ग्रूप व पूर्वोत्तर के सभी छात्र संगठनों ने रविवार को गुवाहाटी प्रेस क्लब में इस उद्देश्य से बैठक भी की।
आंदोलन का अभी कोई लीडरशिप नहीं है
उल्फा के अनूप चेतिया ने दैनिक जागरण से कहा कि आंदोलन का अभी कोई लीडरशिप नहीं है मगर आम जनता के दिल में जो गुस्सा है उसे देखते हुए यह हम सभी का दायित्व है कि इस आंदोलन को किसी मुकाम पर पहुंचाया जाए। शांतिपूर्ण आंदोलन के बाद सोमवार को पूरे प्रदेश में सत्याग्रह के अंदाज में तीन दिनों तक विरोध प्रदर्शन चलेगा।
गुवाहाटी में कर्फ्यू के दौरान नहीं हुई हिंसात्मक वारदात
रविवार को गुवाहाटी में एक बड़े म्यूजिकल विरोध प्रदर्शन के जरिए सूबे के बौद्धिक व कला जगत के लोगों ने इस विरोध आंदोलन की भावी तस्वीर भी पेश कर दी है। सरकार के लिए राहत की बात यह रही कि रविवार को गुवाहाटी में कर्फ्यू के दौरान कोई हिंसात्मक वारदात नहीं हुई। राज्य के दूसरे हिस्सों से भी स्थिति सामान्य होने की खबर है। एहतियातन शाम से कर्फ्यू लागू है।
विरोध प्रदर्शन में जुट रही है भारी भीड़
पुलिस व अर्द्ध सैनिक बलों के जवानों की तैनाती से भी गुवाहाटी में आंदोलन के हिंसात्मक होने का भय कम हुआ है। शायद यही वजह रही कि रविवार को असम इंजीनियरिंग कालेज ग्राउंड पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में अभी तक की सबसे बड़ी भीड़ जुटी। साहित्य, कला व बौद्धिक जगत के यहां के चर्चित लोगों ने इस विरोध आंदोलन में शामिल हुए और कैब को रद्द करने की मांग उठाई गई। इस अनोखे विरोध प्रदर्शन के दौरान सुबह 11 से शाम 5 बजे तक गीत-संगीत के जरिए असम व भारत की संस्कृति का गुणगान करते हुए कैब को यहां के लोगों के साथ किया गया एक बड़ा विश्वासघात करार दिया गया है।
कलाकारों ने अपने गीतों के जरिए लोगों को सड़क पर उतरने का किया आह्वान
बॉलीवुड के सिंगर जुबिन गर्ग और मान रोबिन जैसे स्थानीय चर्चित कलाकारों ने अपने गीतों के जरिए लोगों को परिवार सहित इस कानून के खिलाफ सड़क पर उतरने का आह्वान किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ आती-जाती रही मगर मैदान कभी खाली नहीं रहा। विरोध आंदोलन में जुटी भीड़ के स्वरूप पर निगाह रख रही केंद्र व राज्यों की एजेंसियों के लिए आम लोगों की बड़ी हिस्सेदारी चिंता का कारण हो सकती है।
कैब आमी नै मानो
जुटी भीड़ में मध्यम वर्ग व छात्रों की संख्या काफी ज्यादा थी। खास बात यह थी कि लोग अपने परिवार व बच्चों के साथ आंदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते देखे गए। पूरे कार्यक्रम के दौरान एक ही नारा लगाया 'कैब आमी नै मानो'' (कैब हम नहीं मानेंगे)।
बांग्लादेश के हिंदू या मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का विरोध
गुवाहाटी के राजनीतिक विश्लेषक सुशांत तालुकदार ने कहा कि कैब आंदोलन को हिंदू बनाम मुस्लिम जोड़ कर देखने वाले गलत कर रहे हैं। असम के स्थानीय हिंदू या मुसलमान दोनों बांग्लादेश के हिंदू या मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने के विरोध में है। विरोध प्रदर्शन के दौरान सबसे ज्यादा हमला मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और वरिष्ठ मंत्री हेमंत विश्व शर्मा पर किया जा रहा है। मंच से हेमंत शर्मा को असमिया समुदाय से बाहर तक करने की मांग की गई। सोनोवाल के असम की भाषा व संस्कृति को कोई खतरा नहीं होने के वादे पर यह कहा गया कि अगर बांग्लादेश शरणार्थियों की संख्या ज्यादा नहीं है तो मुख्यमंत्री उन्हें ट्रेन में बिठा कर गुजरात क्यों नहीं भेज देते।
मुख्यमंत्री का संदेश विरोध प्रदर्शन की आंच को धीमा नहीं कर सका
मुख्यमंत्री ने जनता के नाम जारी संदेश में कहा कि कि दिसंबर, 2014 के बाद बांग्लादेश ले आने वाले किसी हिंदू शरणार्थी को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा है कि असम में एक या डेढ़ करोड़ बंगलादेशी हिंदुओं के होने को दुष्प्रचार करार दिया है। मगर मुख्यमंत्री का यह संदेश विरोध प्रदर्शन की आंच को धीमी करने में सहायक नहीं कर रहा।