चीन, पाक ने किया था मिजोरम में उग्रवाद का समर्थन : जोरमथंगा
दो खंडों में लिखी गई किताब को मिजो भाषा में एमआइएलएआरआइ (मिलारी) कहा गया है। इसका अभी अंग्रेजी में अनुवाद किया जा रहा है।
आइजोल, प्रेट्र : कभी खूंखार उग्रवादी रहे और अब पूर्वोत्तर के प्रमुख राजनेता जोरामथंगा ने अपनी आत्मकथा पूरी कर ली है। मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि उनकी आत्मकथा 'बहुआइजोलत' विवादित किताब होगी और उस पर पाकिस्तान और चीन दोनों को एतराज हो सकता है। क्योंकि, इसमें मिजोरम में विद्रोह को उनके 'समर्थन' का विस्तृत वर्णन है। दो खंडों में लिखी गई किताब को मिजो भाषा में 'एमआइएलएआरआइ' (मिलारी) कहा गया है। इसका अभी अंग्रेजी में अनुवाद किया जा रहा है।
मिजो नेशनल फ्रंट के अध्यक्ष जोरामथंगा ने एक साक्षात्कार में विश्वास जताया कि उनकी पार्टी राज्य में अगली सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि वह पुस्तक के मिजो संस्करण का विमोचन 11 दिसंबर को विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद करेंगे।
मिजोरम के दो बार मुख्यमंत्री रहे जोरामथंगा ने कहा कि किताब में उनके 20 साल तक भूमिगत रहने के दिनों का विस्तार से उल्लेख है। इसमें यह भी शामिल होगा कि किस तरह से ढाका विफल हुआ और भारत ने ले. जनरल एएके नियाजी के एक लाख सैनिकों को पकड़ लिया। जोरामथंगा ने बताया कि एमएनएफ का काडर पूर्वी पाकिस्तान के कमांडो के साथ मिल गया और लेफ्टिनेंट जनरल जेएस अरोड़ा द्वारा पकड़ लिया गया। लेकिन, बाद में सब भाग गए और फिर जंगल में चले गए।
उन्होंने कहा कि आत्मकथा में इस बात का जिक्र है कि हम रंगून (म्यांमार) के जरिये पूर्वी पाकिस्तान से जेम्स बांड की तरह बचकर निकले और अराकान जंगल में कई दिनों चले। हम कैसे भुट्टो से मिले और विदेशी धरती से हमने कैसे भारत के साथ शांति वार्ता शुरू की। जोरामथंगा ने बताया कि किताब में उनके और एमएनएफ विद्रोहियों के चीन जाने और वहां के प्रधानमंत्री झोउ एनलाई, माओ त्से तुंग, लिन बिआओ और चिआंग चिंग समेत अन्य नेताओं से मिलने का उल्लेख है।
उन्होंने बताया, 'हमने हथियारों इत्यादि के रूप में चीनी सरकार से कैसे मदद हासिल की। इसको भी रिकॉर्ड करना चाहिए। कुछ प्रकाशकों में ये चीजें छापने की हिम्मत नहीं है। लेकिन, मैंने इन्हें मिजो भाषा में लिखा है और इसका अब (अंग्रेजी में) अनुवाद किया जा रहा है।'
आत्मकथा पर बने हॉलीवुड फिल्म
रुपहले पर्दे पर अपनी जिदंगी को देखने की तमन्ना जाहिर करते हुए जोरामथंगा ने कहा कि उनकी आत्मकथा में एक बेहतरीन हॉलीवुड फिल्म बनने का सारा मसाला मौजूद है। उन्होंने कहा कि उनकी दिलचस्पी बॉलीवुड को अपनी पुस्तक देने में नहीं है, क्योंकि उसमें भारत सरकार के खिलाफ एमएनएफ की लड़ाई और रणनीतियां समेत अन्य चीजें दिखाने की हिम्मत नहीं है।