चीन ने इमरान को दी नसीहत, कहा- पश्चिमी मीडिया से रहें सतर्क
चीन का आधिकारिक मीडिया ग्लोबल टाइम्स उन्हें आगाह कर रहा है कि वे पश्चिमी मीडिया के हथकंडों से बचकर रहें।
नई दिल्ली, जेएनएन। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर भले ही पूर्व में इमरान खान सवाल उठाते हुए पारदर्शिता लाने की बात करते रहे हों, लेकिन अब जब वे प्रधानमंत्री बनने के करीब हैं तो चीन का आधिकारिक मीडिया ग्लोबल टाइम्स उन्हें आगाह कर रहा है कि वे पश्चिमी मीडिया के हथकंडों से बचकर रहें। पश्चिमी मीडिया बीजिंग और इस्लामाबाद के ताल्लुकातों में गहरी खाई पैदा कर सकता है।
चीन की चिंता
दरअसल, पाकिस्तान में चीन में बहुत सारा निवेश कर रखा है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में ही उसका 46 अरब डॉलर का निवेश है। पाकिस्तान का वह हर मौसम का दोस्त होने का दावा करता है। ऐसे में पश्चिमी मीडिया द्वारा उसके हितों पर सवाल खड़ा करने से उसे मिर्ची लग रही है। इमरान खान चुनाव प्रचार के दौरान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में पारदर्शिता और संभावनाओं के अभाव को लेकर चिंता जता चुके हैं। पश्चिमी देशों की मीडिया इमरान के उसी रुख को प्रचारित कर रहा है जिसमें वे आर्थिक गलियारे में पाकिस्तानी हितों की बात करते रहे हैं। आइए जानते हैं कि पश्चिमी मीडिया में इमरान की जीत को लेकर क्या कहा-सुना जा रहा है।
द इंडिपेंडेंट, ब्रिटेन
अपने संपादकीय में इमरान खान की चुनावी सफलता को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से जोड़ते हुए दोनों में काफी समानता बताई। इमैनुएल की तरह इमरान खान ने भी पाकिस्तान में बेहतर हालात को लेकर कई वादे किए हैं। हालांकि फ्रांस से इतर पाकिस्तान में गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार जैसे कई अहम मुद्दे हैं,जिनसे निपटना इमरान खान के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।
द गार्जियन, ब्रिटेन
अपने संपादकीय में लिखा कि 20 करोड़ युवाओं वाले देश पाकिस्तान में लोग गरीबी से जूझ रहे हैं। देश में लोकतंत्र अभी भी आसान नहीं है। इमरान खान को कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टियों से मुकाबला करना होगा। इसका असर पड़ोसी देश अफगानिस्तान के साथ रणनीति और न्यूक्लियर ताकत भारत से संबंधों पर भी होगा।
टेलीग्राफ, ब्रिटेन
संपादकीय में लिखा कि इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तानी सेना के समर्थन से भले ही जीत गई हो, लेकिन अब उन्हें सेना के फैसलों के अनुसार ही चलना होगा।
पाकिस्तानी अखबारों के सुर
द डान: 'समय अब आगे बढ़ने का है' शीर्षक से लिखे संपादकीय में कहा गया है कि देश की राजनीति के शिखर पर पहुंचने पर इमरान खान आखिरकार कामयाब रहे। मतदान के दिन हुए विवाद के बाद भी इमरान खान और उनकी पार्टी को देश का समर्थन मिला।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून: इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सत्ता बनाती नजर आ रही है। चुनाव में ये साफ है कि पाकिस्तान के लोग पाकिस्तानी मुस्लिम लीग और पाकिस्तानी पीपुल्स जैसी पार्टियों और उनके विचारों को नकार चुके हैं और बदलाव के लिए तैयार हैं।
पाकिस्तान टुडे: इमरान खान की पार्टी को सरकार बनाने के बाद फूलों से सजा बिस्तर नहीं मिलेगा, बल्कि उन्हें आर्थिक अस्थिरता, आंतरिक सुरक्षा, अमेरिका से संबंध और पाकिस्तान के पड़ोसी देशों से संबंध जैसी अहम चुनौतियों का सामना करना होगा।
द नेशन: धार्मिक कट्टरपन को जीत नहीं, शीर्षक से लिखे संपादकीय में कहा है कि धार्मिक कट्टर रुख वाली पार्टियां लोगों की धार्मिक भावनाओं को हथियार बनाकर और खुद को कट्टर धार्मिक पार्टी साबित कर वोट हासिल कर लेती हैं, लेकिन ये देश का नुकसान के अलावा कुछ नहीं करतीं।
पाकिस्तान ऑब्जर्वर: अखबार ने लिखा कि इमरान खान बहुमत से जीत रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग इसमें हारा है। चुनाव के नतीजे समय पर घोषित नहीं हो सके हैं। पाकिस्तान एक लंबे दौर से राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से गुजर रहा है। ऐसे में सत्ता में आई इमरान खान की पार्टी को हालात सुधारने के लिए गंभीरता से काम करना होगा।