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TSRTC कर्मचारियों को CM की चेतावनी, बंद करें हड़ताल वरना खोनी पड़ सकती है नौकरी

तेलंगाना में लंबे समय से चल रही तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (TSRTC) कर्मचारियों को राज्य सरकार की तरफ से चेतावनी दी गई है।

By Pooja SinghEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 08:43 AM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 11:35 AM (IST)
TSRTC कर्मचारियों को CM की चेतावनी, बंद करें हड़ताल वरना खोनी पड़ सकती है नौकरी
TSRTC कर्मचारियों को CM की चेतावनी, बंद करें हड़ताल वरना खोनी पड़ सकती है नौकरी

हैदराबाद, एएनआइ। तेलंगाना में लंबे समय से चल रही तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (TSRTC) कर्मचारियों को राज्य सरकार की तरफ से चेतावनी दी गई है। मुख्यमंत्री ऑफिस की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि अगर टीआरएसटीसी के कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल 5 नवंबर 2019 तक बंद नहीं तो सभी को अपनी नौकरी हमेशा के लिए गंवानी पड़ सकती है। बता दें कि पिछले एक महीने से ये TSRTC को राज्य सरकार में विलय को लेकर हड़ताल कर रहे हैं।  

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तेलंगाना सीएमओ (CMO) की तरफ से आए बयान में कहा गया है कि अगर मंगलवार की आधी रात तक आरटीसी ( RTC) के कर्मचारी काम पर वापस नहीं आए तो उन्हें काम पर वापस नहीं लिया जाएगा। इससे अलावा सरकार की तरफ से कहा गया है कि अगर ये कर्मचारी हड़ताल खत्म करने की आखिरी तारीख तक हड़ताल बंद नहीं करेंग तो वह प्राइवेट बस चालने की इजाजत दे देंगे।

बता दें कि मुख्यमंत्री चंद्र शेखर राव ने शनिवार को राज्य कैबिनट में फेसला लेते हुए कहा था कि कर्मचारी इस हड़ताल 5 नवंबर  2019 तक खत्म कर दें।  इसके अलावा उन्होंने 10, 400 बसें 5,100 रुटों पर चलाने की घोषणा की थी। कर्मचारियों की मांग है कि  टीएसआरटीसी का राज्य की सरकार में विलय हो जाए। वहीं इस हड़ताल मे  कई कर्मचारियों ने मंदी के चलते सुसाइड भी कर लिया था। इसके बाद से ये मु्द्दा काफी बढ़ता जा रहा है।

सोमवार को राज्य प्रगति भवन में मुख्यमंत्री ने इस मुद्दें पर समीक्षा बैठक की। इस दौरान सभी मंत्रियों से विचार-विमर्श करने के बाद उन्होंने कहा कि हम कर्मचारियों को एक मौका दे रहे ताकि वह काम पर वापस आ जाए। क्योंकि उनकी जॉब उनके हाथ में  है। रिपोर्टस में कहा गया है कि अगर मंत्री हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाते हैं तो इससे उन्हें कोई भी फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि इस विषय पर हाई कोर्ट की तरफ से कोई आदेश नहीं आया है। वहीं उन्होंने कहा हाई कोर्ट में जाने से राज्य के लोगों को ही काफी समस्या का सामना करना पड़ेगा क्योंकि जब इस विषय की सुनवाई हाई कोर्ट में होगी तो इसके लिए काफी वक्त लगेगा। 


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