Move to Jagran APP

जिस CBI मुख्यालय के उद्घाटन में मेहमान बनकर गए थे चिदंबरम, अब उसी में हुए कैद

30 अप्रैल 2011 को यूपीए 2 सरकार में तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने सीबीआइ मुख्यालय का उद्घाटन किया था।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 07:53 PM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 09:02 PM (IST)
जिस CBI मुख्यालय के उद्घाटन में मेहमान बनकर गए थे चिदंबरम, अब उसी में हुए कैद
जिस CBI मुख्यालय के उद्घाटन में मेहमान बनकर गए थे चिदंबरम, अब उसी में हुए कैद

नई दिल्ली, पीटीआइ। आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को दिल्ली की राउज ऐवेन्यू कोर्ट ने 5 दिन की सीबीआइ (CBI) रिमांड पर भेज दिया है। गिरफ्तारी के बाद पी. चिदंबरम को उसी सीबीआइ मुख्यालय में रात बितानी पड़ रही है, जिसके उद्घाटन समारोह में लगभग आठ साल पहले वो सरीख हुए थें। तब केंद्र में यूपीए 2 सरकार थी और चिदंबरम तब गृह मंत्री थे।

loksabha election banner

दशकों तक सीजीओ कॉम्प्लेक्स के भीड़भाड़ वाले कमरों में काम करने के बाद 2011 में जांच एजेंसी को ये नया पता मिला था। इस भवन का उद्घाटन 30 अप्रैल, 2011 को तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने किया था। नए दफ्तर के उद्घाटन से कुछ दिन पहले ही सीबीआइ ने सीडब्लूजी (CWG) घोटाले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी को गिरफ्तार किया था, लेकिन उद्घाटन समारोह के कारण उन्हें नए भवन में नहीं रखा गया था।

यह भी पढ़ें- INX Media case: रात भर सीबीआइ की गिरफ्त में रहे चिदंबरम, पूछे गए ये 20 सवाल

उद्घाटन समारोह में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम, कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली और तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल भी शामिल हुए थे। उन्हें तत्कालीन सीबीआइ निदेशक ए.पी सिंह ने उस भवन की सुविधाएं दिखाईं थी, जिसमें वो गेस्ट हाउस भी शामिल है, जिसमें चिदंबरम को रखा गया है।

सीबीआइ मुख्यालय पर मंडराता वास्तु दोष
सीबीआइ के कुछ अफसरों का कहना है कि सीबीआइ मुख्यालय का वास्तु ठीक नहीं है। उनका मानना है कि इस इमारत को एक कब्रिस्तान के ऊपर बनाया गया है। लिहाजा, इस सीबीआइ मुख्यालय के उद्घाटन के समय से ही सभी सीबीआइ निदेशकों को किसी न किसी विवाद का सामना करना पड़ा है। एपी सिंह के बाद सीबीआइ प्रमुख बने रंजीत सिन्हा के खिलाफ तो मामला ही दर्ज हो गया था। जबकि अनिल सिन्हा को उद्योगपति विजय माल्याके भारत से फरार होने को लेकर कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। जबकि आलोक वर्मा की अपने जूनियर से खटपट इतनी बढ़ गई थी उन्हें जांच एजेंसी से ही हटा दिया गया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.