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चिदंबरम को लड़नी होगी लंबी कानूनी लड़ाई, कार्ति पर कसा सीबीआइ का शिकंजा

पूर्व वित्त मंत्री को सरकार के पैंतरे का एहसास हो चुका है। शायद यही वजह थी कि बेटे कार्ति की गिरफ्तारी से एक हफ्ते पहले वह सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा पहुंचे थे।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 01 Mar 2018 09:03 PM (IST)Updated: Fri, 02 Mar 2018 07:51 AM (IST)
चिदंबरम को लड़नी होगी लंबी कानूनी लड़ाई, कार्ति पर कसा सीबीआइ का शिकंजा
चिदंबरम को लड़नी होगी लंबी कानूनी लड़ाई, कार्ति पर कसा सीबीआइ का शिकंजा

नई दिल्ली, प्रेट्र: आइएनएक्स मीडिया मामले में कार्ति चिदंबरम पर कानूनी शिकंजा कस चुका है तो सीबीआइ और ईडी उनके पिता पी. चिदंबरम पर एयरसेल-मैक्सिस डील में निशाना साधने की तैयारी कर रही है। साफ दिख रहा है कि चिदंबरम पिता-पुत्र को लंबी कानूनी लड़ाई से दो-चार होना होगा। पूर्व वित्त मंत्री को सरकार के पैंतरे का एहसास हो चुका है। शायद यही वजह थी कि बेटे कार्ति की गिरफ्तारी से एक हफ्ते पहले वह सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा पहुंचे थे।

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वैसे गिरफ्तार होने से पहले कार्ति न केवल सुप्रीम कोर्ट बल्कि मद्रास हाई कोर्ट व ट्रायल कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। वह ईडी व सीबीआइ के साथ जांच में सहयोग भी कर रहे थे, लेकिन फिर भी एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सारे प्रकरण को देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे पी. चिदंबरम की चिंता जायज मानी जा सकती है। एयरसेल-मैक्सिस डील में सीबीआइ 2014 में विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। इसमें पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधी मारन पर भी शिकंजा कसा गया है।

सीबीआइ की जांच यहीं पर आकर खत्म नहीं होती। वह देख रही है कि बतौर वित्त मंत्री रहते आखिरकार क्यों चिदंबरम ने फारेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआइपीबी) की अनुमति एक विदेशी फर्म को दी, जबकि यह काम केवल आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ही कर सकती थी। हालांकि इस मामले में सीबीआइ व ईडी की जांच को अदालत से हरी झंडी नहीं मिली, क्योंकि फरवरी 2017 में मारन व उनके उद्यमी भाई कलानिधी मारन को आरोप मुक्त कर दिया गया। अदालत ने अपने फैसले में माना कि जांच एजेंसियों ने फाइलों को पढ़ने में गलती की, या फिर उसके आरोप केवल अनुमानों व शिकायत पर आधारित थे। लेकिन चिदंबरम को केवल इसी आधार पर राहत नहीं मिल जाती।

पिछले साल अप्रैल में सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह जांच कर रही है कि चिदंबरम ने एक विदेशी कंपनी को एफआइपीबी की मंजूरी क्यों दी थी। इस मामले में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया था कि एयरसेल-मैक्सिस डील में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। सीबीआइ ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि मॉरीशस की ग्लोबल कम्यूनिकेशन सर्विसेज होल्डिंग लि. को चिदंबरम ने फायदा पहुंचाया। यह मैक्सिस की सहयोगी कंपनी थी। इसके मालिक मलेशिया के उद्यमी टी आनंदा कृष्णन हैं।


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