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चिदंबरम और स्टालिन ने किया कनीमोझी का समर्थन, भाजपा ने चुनावी फायदे के लिए मुद्दा उछालने का लगाया आरोप

द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने भी कनीमोझी का समर्थन किया है। उन्होंने सोमवार को ट्वीट किया कि क्या हिंदी भारतीय होने का मानदंड है? यह इंडिया है या हिंडिया?

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 09:51 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 09:57 PM (IST)
चिदंबरम और स्टालिन ने किया कनीमोझी का समर्थन, भाजपा ने चुनावी फायदे के लिए मुद्दा उछालने का लगाया आरोप
चिदंबरम और स्टालिन ने किया कनीमोझी का समर्थन, भाजपा ने चुनावी फायदे के लिए मुद्दा उछालने का लगाया आरोप

चेन्नई, एजेंसियां। तमिलनाडु से आने वाले कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने हिंदी को लेकर टिप्पणी मामले में द्रमुक सांसद कनीमोझी का समर्थन किया है। सोमवार को उन्होंने ट्वीट किया, मुझे सरकारी अधिकारियों और आम लोगों से बातचीत के दौरान इसी तरह के अनुभव का सामना करना पड़ा है। टेलीफोन पर या आमने-सामने की बातचीत के दौरान उनका जोर रहता है कि मुझे हिंदी में ही बोलना चाहिए। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि यदि सरकार वास्तव में इस बात को लेकर प्रतिबद्ध है कि हिंदी और अंग्रेजी भारत की आधिकारिक भाषा बनी रहे, तो केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों को दोनों भाषाओं की जानकारी होनी चाहिए।

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यह इंडिया है या हिंडिया : स्टालिन

इसके साथ ही द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने भी कनीमोझी का समर्थन किया है। उन्होंने सोमवार को ट्वीट किया कि क्या हिंदी भारतीय होने का मानदंड है? यह इंडिया है या हिंडिया? उल्लेखनीय है कि कनीमोझी ने सीआइएसएफ की एक अधिकारी पर खुद के हिंदी न जानने को लेकर तंज कसने का आरोप लगाया। द्रमुक सांसद के अनुसार, सीआइएसएफ अधिकारी ने चेन्नई हवाई अड्डे पर उनसे कहा कि उन्हें हिंदी नहीं आती है। क्या फिर भी वह भारतीय हैं?

इस बीच, भाजपा ने कनीमोझी पर चुनावी फायदे के लिए यह मुद्दा उछालने का आरोप लगाया है। भाजपा महासचिव बीएल संतोष ने ट्वीट किया, विधानसभा चुनाव अभी आठ माह दूर है, लेकिन प्रचार शुरू हो गया है।

सीआइएसएफ ने दिया मामले की जांच का आदेश

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने कहा है कि उसने महिला सुरक्षा अधिकारी द्वारा हिंदी नहीं जानने को लेकर कनीमोझी पर तंज कसे जाने के मामले की जांच का आदेश दे दिया है। सुरक्षा बल ने एक ट्वीट में कहा, सीआइएसएफ ने मामले की जांच का आदेश दे दिया है। किसी खास भाषा को लेकर जोर देना हमारी नीति का हिस्सा नहीं है।


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