राजस्थान में सियासी गर्मी के बीच छत्तीसगढ़ में भी बढ़ी तपिश, शुरू हुआ बयानबाजी का दौर
छत्तीसगढ़ में भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री व राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय के तख्तापलट को लेकर बयान से मानसून से पहले राजनीतिक बयानों की बौछार तेज हो गई हैं।
रायपुर, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में भी कांग्रेस को सत्ता की चिंता सताने लगी है। वहां राज्यसभा की तीन सीटों के लिए मतदान होना है। कांग्रेस और भाजपा ने दो-दो प्रत्याशी उतार दिए हैं। इससे सत्ताढ़ कांग्रेस में क्रास वोटिंग का भय बढ़ गया है। पार्टी ने अपने, सहयोगी व समर्थक समेत सरकार में शामिल 123 विधायकों को होटल में क्वारंटाइन (रखा है) कर दिया है। इधर, छत्तीसगढ़ में भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री व राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय के 'तख्तापलट' को लेकर बयान से मानसून से पहले राजनीतिक बयानों की बौछार तेज हो गई हैं। कांग्रेस इसे मुंगेरीलाल के हसीने सपने करार दे रही है। बता दें कि इस साल की शुआत में भी छत्तीसगढ़ में भाजपा पर सरकार को अस्थिर करने का आरोप लग चुका है।
ऐसे शुरू हुआ बयानबाजी का दौर
भाजपा की राज्यसभा सदस्य पांडेय दो दिन पहले राजनांदगांव में पार्टी के एक कार्यक्रम में इशारों-इशारों में सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए तख्तापलट जैसी बातें कही थीं। कांग्रेस ने उनके इस बयान को बेहद गंभीरता से लिया है। कांग्रेस की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम समेत कई नेताओं ने पलटवार करते हुए बयान जारी किए हैं। इसमें पांडेय को मुंगेरीलाल के हसीन सपने नहीं देखने लेकर कई अन्य नसीहतें भी दी हैं।
आयकर के छापे को लेकर भी लगा था आरोप
छत्तीसगढ़ में इस वर्ष फरवरी में आयकर विभाग ने बड़े पैमाने पर छापे की कार्यवाही की थी। इस पर राज्य की पूरी कैबिनेट ने राजभवन जाकर ज्ञापन सौंपा और सरकार को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगाया था। आयकर विभाग की कार्रवाई के समय और तरीके पर सवाल उठाते हुए इसे सहकारी संघवाद के लिए गहन चिंता का विषय करार दिया गया था।
छत्तीसगढ़ में सबसे स्थिर सरकार देश के छह राज्यों में
इस वक्त कांग्रेस सत्ता में हैं। इनमें छत्तीसगढ़ को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में कांग्रेस ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई है। एक मात्र छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस अपने अकेले के दम पर सत्ता में है।
यहां जोड़तोड़ की गुंजाइश ही नहीं
90 सदस्यी छत्तीसगढ़ विधानसभा में सत्ता हासिल करने के लिए 46 विधायकों का समर्थन जरी है, जबकि कांग्रेस के पास 69 विधायकों का बहुमत है। भाजपा के पास महज 14 विधायक हैं। वहीं, विपक्ष में बैठी बसपा के दो और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद उनकी पार्टी के चार विधायक रह गए हैं। एक पद रिक्त है।