श्रीलंका सरकार के बदले मिजाज, चीन के लिए पलक पांवड़े बिछाकर भारत को दिखाया ठेंगा
हमबनतोता पोर्ट का लीज चीन को मिला हुआ है। चीन यहां एक बड़ा विशेष आर्थिक क्षेत्र भी बनाना चाहता है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। श्रीलंका में चीन समर्थक गोताबाया राजपक्षे की सरकार बनने के साथ ही जो भारत को जो आशंका थी वह अब सही साबित होती दिख रही है। चुनाव जीतने के बाद राजपक्षे ने भले ही भारत की यात्रा की हो और उसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने उनसे नववर्ष पर बात भी की, लेकिन ऐसा लगता है कि वहां की नई सरकार चीन के हितों के अनुरूप काम शुरु कर चुकी है। ऐसे में अगले हफ्ते वहां एक साथ चीन और रूस के विदेश मंत्री के पहुंचने पर भारत के भीतर काफी उत्सुकता है।
एकसाथ रूस और चीन के विदेश मंत्री पहुंचेंगे कोलंबो
यह पहला मौका होगा जब इस पड़ोसी देश में दुनिया की दो बड़ी शक्तियों के विदेश मंत्री एक साथ पहुंच रहे हैं। माना जा रहा है कि रूस और चीन वहां हमबनतोता पोर्ट के संयुक्त इस्तेमाल की संभावना तलाश रहे हैं।
भारत के लिए सुखद नहीं कि रुस और चीन हमबनतोता पोर्ट का इस्तेमाल करे
अभी तक जो सूचना आ रही है चीन के विदेश मंत्री वांग यी और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव कुछ ही घंटे के लिए कोलंबो में रहेंगे, लेकिन दोनों श्रीलंका के विदेश मंत्री दिनेश गुणावर्द्धने से मिलेंगे। कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक एक साथ होने वाले इस दौरे को फिलहाल ईरान व अमेरिका के बीच चल रहे विवाद के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। हालांकि जिस तरह से श्रीलंका के हमबनतोता पोर्ट के इस्तेमाल को लेकर तरह की तरह की सूचनाएं आ रही वे कहीं से भी भारत के लिए सुखद नहीं है।
हमबनतोता को लेकर श्रीलंका चीन को और ज्यादा अधिकार देने के पक्ष में
हाल ही में रूस के एक युद्धक पोत ने हमबनतोता की सुविधाओं का इस्तेमाल किया है और श्रीलंका के कुछ मंत्रियों ने साफ तौर पर कहा है कि वह हमबनतोता को लेकर चीन को और ज्यादा अधिकार देने के पक्ष में है। ऐसे में अगले हफ्ते एक ही दिन श्रीलंका के विदेश मंत्री गुणावर्द्धने के साथ रूस और चीन के विदेश मंत्रियों की होने वाली मुलाकात के बाद क्या बयान आते हैं, इसको लेकर भारत की दिलचस्पी रहेगी।
चीन श्रीलंका में आर्थिक क्षेत्र भी बनाना चाहता है
यह बताने की जरुरत नहीं कि हमबनतोता पोर्ट का लीज चीन को मिला हुआ है। चीन यहां एक बड़ा विशेष आर्थिक क्षेत्र भी बनाना चाहता है। श्रीलंका की पूर्व सिरीसेना सरकार ने उस पर फैसला टाल दिया था, लेकिन अब नई सरकार उसे मंजूरी दे सकती है।
हमबनतोता पोर्ट को लेकर चीन के साथ समझौते की समीक्षा नहीं होगी- राष्ट्रपति गोताबाया
दिसंबर, 2019 में भारत के दौरे से लौटने के बाद राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे ने साफ तौर पर कहा था कि हमबनतोता पोर्ट को लेकर चीन के साथ समझौते की समीक्षा नहीं की जाएगी। यही नहीं इस पोर्ट के पास ही मताला एयरपोर्ट को लेकर भी उन्होंने साफ किया था कि इसे उनकी सरकार अकेले ही विकसित करेगी। सनद रहे कि सिरीसेना सरकार के कार्यकाल में भारत व श्रीलंका के बीच इस पोर्ट को लेकर बातचीत चल रही थी।