मीडिया के खिलाफ जगनमोहन रेड्डी सरकार ने जारी किया आदेश, चंद्रबाबू नायडू ने कही ये बात
जगनमोहन रेड्डी सरकार पर चंद्रबाबू नायडू एक बार फिर से हमलावर हो गए है। मीडिया के खिलाफ जारी आदेश को वापस लेने की मांग की है।
अमरावती,एएनआइ। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेदेपा अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को फिर से झूठे, आधारहीन और मानहानि संबंधी समाचारों के प्रकाशन के साथ मीडिया घरानों पर मुकदमा चलाने के लिए सरकारी विभागों के सचिवों को शक्ति प्रदान करने के आदेश पर वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की आलोचना की।
भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा जारी आदेश पर गंभीर चिंता व्यक्त की है, जो संबंधित विभागों के सचिवों को झूठी, निराधार और मानहानि संबंधी समाचारों के प्रकाशन के संबंध में कानूनी कार्रवाई शुरू करने की अनुमति प्रदान करता हैं। सरकारी वकील के माध्यम से प्रिंट मीडिया के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के बयान का हवाला देते हुए, नायडू ने ट्वीट किया कि वह इस मुद्दे को सभी प्लेटफार्मों पर उठाते रहेंगे और तब तक आराम नहीं करेंगे जब तक सरकार इसे वापस नहीं ले लेती।
नायडू ने ट्वीट करते हुए आगे लिखा कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने ड्रोनियन जीओ 2430 पर एक सू-मोटो को आगे बढ़ाते हुए वाईएस जगन मोहन रेड्डी की सरकार के चेहरे पर एक कड़ा तमाचा है, जो पत्रिकाओं को परेशान करना चाहता है और सोशल मीडिया पर लोगों की चिंता का विषय है। नायडू ने कहा कि हम सभी प्लेटफार्मों पर इस मुद्दे को उठाते रहेंगे और तब तक आराम नहीं करेंगे, जब तक सरकार इसे वापस नहीं लेती।
1 नवंबर को, पीसीआई ने एक बयान में कहा कि अध्यक्ष का विचार है कि मीडिया कर्मियों पर मुकदमा चलाने का खतरा सामान्य तौर पर, पत्रकारों को बड़े पैमाने पर ध्वस्त कर देगा, जो प्रेस की स्वतंत्रता पर गंभीर असर डालेगा। यही नहीं समस्याओं के निवारण के लिए जो आदेश दिए गए हैं, वे परिषद द्वारा स्वयं ही हल किए जा सकते हैं।
वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार ने 30 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया था, जिसमें संबंधित विभागों के सचिवों को शिकायतें दर्ज करने, झूठे, बेबुनियाद और मानहानिकारक समाचारों को प्रकाशित, टेलीकास्ट या पोस्ट करने के खिलाफ सरकारी वकील के माध्यम से उचित कानूनी मामले दर्ज करने का आदेश दिया गया था। ये सभी माध्यम प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के लिए है।