विपक्षी दलों को एकजुट करने की चंद्रबाबू की पहल से कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं
राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकजुटता के लिए टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू के सक्रिय होने में कांग्रेस को अपना कोई सियासी नुकसान नहीं दिख रहा है।
नई दिल्ली, संजय मिश्र। राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकजुटता के लिए टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू के सक्रिय होने में कांग्रेस को अपना कोई सियासी नुकसान नहीं दिख रहा है।
पार्टी का मानना है कि इसके उलट नायडू की पहल से उन दलों को विपक्षी खेमे से जोड़ने का रास्ता खुलेगा, जो अभी किसी सियासी खेमे में नहीं हैं। इसी वजह से आंध्रप्रदेश में टीडीपी से सियासी लड़ाई होने के बावजूद कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीति में चंद्रबाबू के साथ कदम मिलाने से कोई गुरेज नहीं करेगी।
भाजपा-एनडीए के खिलाफ विपक्षी एकता की मजबूत पैरोकारी के लिए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को राजधानी दिल्ली आकर बसपा सुप्रीमो मायावती समेत कुछ प्रमुख गैर कांग्रेसी नेताओं से चर्चा की। इसमें दिल्ली के सीएम आप नेता अरविंद केजरीवाल भी शामिल थे।
भाजपा के खिलाफ मजबूत विपक्षी एकता के लिए मायावती पर सभी दलों की निगाहें हैं मगर तीन अहम राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ में बसपा और कांग्रेस का तालमेल नहीं होने से विपक्षी खेमे में बेचैनी है। नायडू-माया मुलाकात में इस पर चर्चा भी हुई।
सूत्रों के मुताबिक टीडीपी नेता ने बसपा प्रमुख को राजनीति में बड़े लक्ष्य के लिए फिलहाल छोटे विवादों से परे होकर विपक्षी सियासत पर सकारात्मक रुख अपनाने की सलाह दी। कांग्रेस रणनीतिकारों के अनुसार माया ही नहीं कई ऐसे भी दल हैं जिनकी कांग्रेस से बराबर लड़ाई रही है उन्हें साधने में बाबू निर्णायक साबित हो सकते हैं।
उसका यह भी मानना है कि बीजद जैसे कुछ ऐसे दल हैं जिन्हें चुनाव बाद विपक्षी खेमे में लाने में चंद्रबाबू सबसे ज्यादा कारगर होंगे क्योंकि वाजपेयी की एनडीए सरकार के समय दोनों साथ-साथ रह चुके हैं। विपक्षी एकता पर केजरीवाल के साथ चंद्रबाबू की मुलाकात को पार्टी इसका एक उदाहरण मान रही क्योंकि कांग्रेस और आप के बीच कोई सीधा सियासी संवाद नहीं है।
चंद्रबाबू नायडू की विपक्षी गोलबंदी की पहल कांग्रेस की मुख्य विरोधी दल की भूमिका को प्रभावित नहीं करेगी इस सवाल पर पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि अहम मसला 2019 में विपक्षी वोटों का बंटवारा रोकना है। इस लिहाज से चाहे रणनीतिक समझदारी हो या तालमेल, कांग्रेस की ओर से हर वो पहल की जाएगी जिससे भाजपा विरोधी मतों का बंटवारा न हो। सिंघवी ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू भी इसी नीति की बात कर रहे हैं तो फिर विरोधाभास का सवाल कहां है।
विपक्षी सियासत के लिए नायडू की सक्रियता को लेकर कांग्रेस इस लिहाज से भी चिंतित नहीं दिख रही क्योंकि टीडीपी प्रमुख ने यह बात बिल्कुल साफ कर दी है कि भाजपा के खिलाफ गठबंधन कांग्रेस के बिना संभव नहीं है। साथ ही नायडू ने मायावती और ममता बनर्जी की तरह विपक्षी खेमे के नेतृत्व की दौड़ में खुद के शामिल होने का फिलहाल कोई संकेत नहीं दिया है।
नायडू के इस लचीले रुख पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि वास्तव में टीडीपी प्रमुख भाजपा नेतृत्व से गहरे रूप से नाराज हैं और इसीलिए फिलहाल उनका मकसद साफ तौर पर विपक्षी गोलबंदी पर है इसीलिए आंध्रप्रदेश में कांग्रेस के साथ सियासी जंग के बावजूद वे राष्ट्रीय स्तर पर हमारे साथ खुलकर आने से गुरेज नहीं कर रहे। तेलंगाना में विपक्षी दलों के गठबंधन पर बनी सहमति में भी चंद्रबाबू की सबसे अहम भूमिका मानी जा रही है।