मप्र में चल रही सियासी उठापटक के चलते भाजपा पर विधायकों को एकजुट रखने की चुनौती
सिंधिया को उम्मीद थी कि सत्ता में आए तो उन्हें भी मजबूत हिस्सेदारी मिलेगी लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आते ही सिंधिया हाशिए पर डाल दिए गए।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्यप्रदेश में चल रही राजनीतिक उठापटक के दौरान भाजपा पर अब अपने विधायकों को एकजुट बनाए रखने की चुनौती ब़़ढ गई है। पार्टी के आपदा प्रबंधन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि खासतौर पर कमजोर क़ि़डयों पर नजर रखी जा रही है। दरअसल, भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने जिस तरह अपनी निष्ठा बदली उसे देखकर पार्टी अब ज्यादा सतर्कता बरत रही है। पार्टी के वरिष्ठ विधायकों और जिले के प्रभावशाली नेताओं को भी अतिरिक्त सतर्कता रखने को कहा गया है।
सिंधिया, पायलट, कमलनाथ मप्र की राजनीति ट्विटर पर ट्रेंड हुई
ट्विटर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और मध्यप्रदेश की राजनीति वाले हैश टेग सोमवार को जबरदस्त ट्रेंड किए गए। ट्विटर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के दो हैश टेग को लेकर हर पल में टिप्पणी की जा रही थी तो रात करीब दस बजे उन्हें ट्विटर पर लगभग 32 हजार लोगों ने देखा। वहीं मप्र की राजनीति में मध्यस्थता किए जाने की वजह से हैश टेग सचिन पायलट को भी जबरदस्त ट्रेंड किया। इनके बाद दो हैश टेग मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ व मध्यप्रदेश की राजनीति को ट्रेंड किया गया।
सिंधिया की पहले भी हुई पार्टी में उपेक्षा
मध्य प्रदेश में सियासी उठापटक के बीच केंद्र बनकर उभरे पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी से नहीं बल्कि बहुत पहले से कांग्रेस में उपेक्षित थे। यही वजह है कि उनके समर्थक आए दिन कमलनाथ सरकार को घेरते दिखते थे। खुद सिंधिया भी कई बार सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर चुके थे।
सीएम चेहरा घोषित नहीं किया
सिंधिया को विधानसभा चुनाव 2013 और फिर 2018 के दौरान शिवराज सिंह चौहान के मुकाबले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की कवायद हुई, पर सफल नहीं रही। सवा साल पहले हुए चुनाव में भी कांग्रेस नेता सिंधिया को एक बड़े चेहरे के रूप में प्रचारित किया था। कमलनाथ को मप्र कांग्रेस का अध्यक्ष तो सिंधिया को चुनाव प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया था।
कांग्रेस के सत्ता में आते ही सिंधिया हाशिए पर डाल दिए गए
सिंधिया को उम्मीद थी कि सत्ता में आए तो उन्हें भी मजबूत हिस्सेदारी मिलेगी, लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आते ही सिंधिया हाशिए पर डाल दिए गए। सरकार में उनकी किसी बात को तवज्जो नहीं मिली। दिग्विजय और कमलनाथ की जोड़ी ने हर पल सिंधिया समर्थक मंत्रियों को भी परेशान किया। इसी उपेक्षा के चलते कई बार सिंधिया ने अपनी नाराजी को सार्वजनिक भी किया। उन्होंने वचन पत्र की उपेक्षा पर सड़क पर उतरने की चेतावनी तक दी।