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MSP से कम में नहीं मानने वाले हैं किसान, इसको देकर केंद्र सुलझा सकती है केंद्र का मसला - सत्‍यपाल मलिक

मेघालय के राज्‍यपाल का कहना है कि सरकार को एमएसपी की गारंटी देकर किसानों के मसले को सुलझा लेना चाहिए। बता दें कि किसान लगभग एक वर्ष से केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 08:15 AM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 08:25 AM (IST)
MSP से कम में नहीं मानने वाले हैं किसान, इसको देकर केंद्र सुलझा सकती है केंद्र का मसला - सत्‍यपाल मलिक
किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी जरूरी

झुनझुनू (एएनआई)। मेघालय के राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक ने कहा है कि यदि केंद्र सरकार किसानों को कानून के मुताबिक न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य देती है तो वे कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों का मसला सुलझा लेंगे। उन्‍होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों की बात करते हुए ये भी कहा कि किसान न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से कम पर किसी भी सूरत में राजी नहीं होने वाले हैं। वे चाहते हैं कि इसको कानून बनाया जाए। ये वो एक अकेली मांग है जिसकी जरूरत किसानों को है। यदि केंद्र सरकार इसको देने पर राजी हो जाती है तो मामला भी सुलझ जाएगा। उन्‍होंने केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि आखिर केंद्र इसको देने से पीछे क्‍यों हट रही है। किसान इससे कम में मानने वाले नहीं हैं।

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आपको बता दें कि पिछले वर्ष 26 नवंबर से ही केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान सड़कों पर हैं। हालांकि केंद्र सरकार लगातार इन कानूनों को किसानों के हित में बता रही है। केंद्र की तरफ से ये भी कई बार कहा जा चुका है कि वो इस मसले पर बातचीत कर किसानों की समस्‍या को सुलझाने के पक्ष में है। इस मुद्दे को लेकर दोनों पक्षों में बात भी हुई थी, लेकिन वो बातचीत बेनतीजा रही थी। जिन तीन कृषि कानूनों को सरकार लेकर आई है उनमें फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कामर्स, (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) एक्‍ट 2020, द फार्मर्स एंपावरमेंट एंड प्रोटेक्‍शन एग्रीमेंट आन प्राइस एश्‍योरेंस एंड फार्म सर्विस एक्‍ट 2020 और इसेंशियल कोमोडिटी (अमेंडमेंट) एक्‍ट 2020 शामिल हैं।

गौरतलब है कि किसानों के समर्थन में कांग्रेस समेत दूसरी विपक्षी पार्टियां भी खड़ी हुई हैं। हालांकि किसान एमएसपी के अलावा इन तीनों कानूनों को पूरी तरह से निरस्‍त करने की मांग पर अड़े हुए हैं। वहीं इस मामले में यहां तक कहा गया है कि कानूनों को पूरी तरह से रद नहीं किया जा सकता है लेकिन इसमें संशोधन जरूर हो सकता है।     


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