आखिर किस अधिकारी ने बदला माल्या का स्टेटस, नाम का खुलासा नहीं कर रही सीबीआइ
बैंक घोटाले का भगोड़ा विजय माल्या को गिरफ्तार करने की जगह सिर्फ सूचना देने का इमीग्रेशन को निर्देश देने वाली सीबीआइ गंभीर संदेह के घेरे में है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बैंक घोटाले का भगोड़ा विजय माल्या को गिरफ्तार करने की जगह सिर्फ सूचना देने का इमीग्रेशन को निर्देश देने वाली सीबीआइ गंभीर संदेह के घेरे में है। जांच एजेंसी माल्या के स्टेटस को बदलवाने वाले जिम्मेदार अफसर के नाम का खुलासा नहीं कर रही है। उसकी इस चुप्पी से जांच एजेंसी पर संदेह और गहरा रहा है। एक ओर सरकार की किरकिरी हो रही है, दूसरी तरफ इस तरह की गलती करने वाले अफसर के खिलाफ जांच एजेंसी ने क्या कार्रवाई की, इस बारे में खुलासा नहीं किया जा रहा है।
माल्या के घोटाले की जांच सीबीआइ 2012-13 से ही कर रही है। जिन बैंकों को माल्या ने चूना लगाया था, वो लगातार एजेंसी को उसके भाग जाने की आशंका जता रही थीं। उधर, एजेंसी की जांच टीम लगातार पूछताछ करने में जुटी थी। तीन बार पूछताछ भी हो चुकी है।
सीबीआइ ने जितनी बार माल्या को पूछताछ के लिए बुलाया, वह बिना नागा के हाजिर होता रहा। जांच में सहयोग करने का झांसा देकर माल्या ने इमीग्रेशन से अपना स्टेटस ही बदलवा लिया। लेकिन यह बात किसी को पच नहीं रही है। संदेह है कि जांच एजेंसी के किसी बड़े अफसर निर्देश पर ही स्टेटस बदलवाया गया होगा। लेकिन सीबीआइ ने अभी तक उसके नाम का खुलासा नहीं किया है।
विदेश भागने से पहले सीबीआइ उसकी जांच को गंभीर अपराध के तौर पर ले रही थी और इसी आशंका के मद्देनजर ही सभी हवाई अड्डों पर तैनात इमीग्रेशन को तत्काल गिरफ्तार कर लेने को कहा गया था। लेकिन माल्या के भागने से कुछ दिन पहले उसका 'स्टेटस' बदलने का फरमान किसी के गले नहीं उतर रहा है।
तथ्य यह है कि नवंबर 2015 में यह कह दिया गया कि माल्या के यहां पहुंचने पर सीबीआइ को सिर्फ सूचना दी जाए। गिरफ्तारी करने की आवश्यकता नहीं है और इसके चार महीने बाद माल्या इंग्लैंड भाग गया और सीबीआइ मुंह ताकती रही। भारतीय स्टेट बैंक समेत कई और बैंकों का लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का घोटाला कर विजय माल्या इन दिनों इंग्लैंड में रह रहा है। हालांकि इस मामले में वहां की अदालत में उसकी सुनवाई चल रही है।